भारत-चीन के बीच सीमा पर बढ़ा तनाव, बीच में आया रूस कहा अगर…

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच बहते छह महीने से गतिरोध बना हुआ है और अब दोनों पक्ष ऊंचाई वाले इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं.

यूरोशिया भी बीते कुछ महीनों से प्राथमिक तौर पर कोविड-19 के मामलों के बढ़ने और नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर आर्मीनिया और आजरबैजान के बीच तनातनी भरे रिश्तों की वजह से उथल-पुथल का सामना कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि हमारे दोनों मित्र एशियाई देशों को और अधिक सकारात्मक संवाद के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है. हाल में दोनों पक्षों द्वारा संयम बरतने और तनाव को राजनयिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत के जरिये सुलझाने को लेकर प्रतिबद्धता की खबर स्वागत योग्य कदम है.’

भारत और चीन के शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स का सदस्य होने का संदर्भ देते हुए बाबुश्किन ने कहा कि जब बहुपक्षीय मंच पर सहयोग की बात आती है तो सम्मानजनक संवाद ही प्रमुख हथियार होता है.

उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि वैश्विक उथल-पुथल और अनिश्चितता के बीच भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है तो इसका असर यूरेशिया क्षेत्र की स्थिरता पर पड़ेगा. हमने देखा है कि इस गतिरोध का दुरुपयोग अन्य सक्रिय ताकतों द्वारा अपने भू-राजनीतिक हित के लिए किया जाता है.’

रूस ने कहा कि वैश्विक उथलपुथल और अनिश्चतता के बीच अगर भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव और बढ़ता है तो पूरे यूरेशिया क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी और तनातनी का दुरुपयोग अन्य सक्रिय ताकतें अपने भू-राजनीतिक उद्देश्य के लिए कर सकती हैं.

ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में रूस के उप मिशन प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि उनका देश स्वाभाविक रूप से एशिया की दो ताकतों के बीच तनाव से चिंतित है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘सकारात्मक संवाद’ बहुत महत्वपूर्ण है.