भारत को नुकसान पहुचाने के लिए चीन ने चली ये नई चाल, बनाने जा रहा नदी के पास…

बांध का शुरुआती काम 16 अक्टूबर को पावर चाइना के साथ शुरू हुआ. जिसने TAR सरकार के साथ 14वीं पंचवर्षीय योजना को कवर करते हुए रणनीतिक सहयोग पर हस्ताक्षर किए.

 

नए बांध के बारे में पिछले हफ्ते सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) यूथ लीग के एक आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी दी गई थी.

यान ने कहा कि यारलुंग ज़ंगबो नदी के बहाव का जलविद्युत का इस्तेमाल एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से ज़्यादा है. यह पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा, जीवन स्तर, ऊर्जा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए भी सार्थक है.

रविवार शाम को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन यारलुंग ज़ंगबो नदी पर एक जलविद्युत परियोजना का निर्माण करेगा. ये नदी एशिया के प्रमुख जल स्रोतों में से एक है और भारत और बांग्लादेश से भी गुजरती है.

पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प ऑफ चाइना के चेयरमैन ने पिछले हफ्ते एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इतिहास में कोई इस प्रोजेक्ट के समानांतर नहीं है. यह प्रोजेक्ट, चीन के जलविद्युत उद्योग के ऐतिहासिक अवसर होगा.

राज्य की मीडिया रिपोर्ट ने संकेत दिया कि बांध TAR के मेडोग काउंटी में आ सकता है, जो अरुणाचल प्रदेश के करीब है. चीन ने पहले ही यारलुंग ज़ंगबो नदी पर कई छोटे बांध बनाए हैं. नए बांध की बिजली पैदा करने की क्षमता मध्य चीन के थ्री गोरज बांध की तुलना में तीन गुना हो सकती है, जिसकी दुनिया में सबसे बड़ी हाईड्रो पावर क्षमता है.

चीन, तिब्बत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब यारलुंग ज़ंगबो नदी की निचले एरिया में एक ‘सुपर’ बांध बनाएगा. स्टेट मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कदम का पूर्वोत्तर भारत की जल सुरक्षा को लेकर दूरगामी परिणाम हो सकता है.

तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) से निकलने वाली यारलुंग जंगबो सीमा पार अरुणाचल प्रदेश में बहती है, जहां इसे बांग्लादेश में बहने से पहले सियांग और फिर असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.