भारत के इस मंदिर पर पाकिस्तानी सेना ने गिराए थे 3000 बम…आज भी सलामत है ये मंदिर

भारत के मंदिरों में अकसर चमत्कार के किस्से सुनने को मिलते हैं। जैसलमेर भारत-पाक सीमा से सटा तनोट गांव। यहां स्थित मातेश्वरी तनोट राय का मंदिर पूरे भारत में मशहूर है। नवरात्र पर साल में दो बार भरने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में भक्त तनोट माता के दर्श नार्थ पहुंचते हैं।

यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर दूर है। 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों के आगे नतमस्तक हुए पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया । करीब ढाई साल की जद्दोजहद के बार भारत सरकार से अनुमति मिलने पर ब्रिगेडियर खान ने न केवल माता की प्रतिमा के दर्शन किए, बल्कि मंदिर में चांदी का एक छत्र भी चढ़ाया जो आज भी मंदिर में है और इस घटना का गवाह है। यह मंदिर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों के साथ देश प्रदेश के हजारों लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह राज्य का पहला मंदिर है, जिसमें सभी व्यवस्थाएं बीएसएफ के जिम्मे हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान पाक की ओर से इस क्षेत्र में जबरदस्त बमबारी की गई थी। बताते हैं कि दोनों युद्धों के दौरान मंदिर के आस पास पाक सेना द्वारा गिराए गए करीब तीन हजार बमों में से एक भी बम नहीं फटा। इनमें से कुछ बम आज भी मंदिर में रखे हुए हैं। प्रदेश का यह एक मात्र मंदिर है, जिसका संचालन सीमा सुरक्षा बल करता और जवान माता की पूजा जवान करते हैं। मंदिर की साफ सफाई के अलावा मंदिर में होने वाली तीन समय की आरती बीएसएफ के जवान ही करते हैं।

मातेश्वरी तनोट राय मंदिर में प्रतिदि न सीमा सुरक्षा बल के जवा नों द्वारा की जाने वाली आरती में भक्ति भावना के साथ जोश का अनूठा रंग नजर आता है। वर्तमान में यहां 139वीं वाहि रामगढ़. मातेश्वरी तनोट राय मंदिर में आरती करते बीएसएफ के जवान सीमा सुरक्षा बल तैनात है। तनोट माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता तनोट के प्रति प्रगाढ़ आस्था रखने वाले भक्त मंदिर में रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर रुमाल खोला जाता है।