भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध से साफ हुई बाघों की संख्या की दर, ये गणना आई सामने

भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध से साफ हुआ है कि देश में बाघों की संख्या प्रति वर्ष छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इतना होने पर भी बाघ अपने कुल आवास क्षेत्र 3.8 लाख वर्ग किलोमीटर में से केवल 88985 वर्ग किलोमीटर तक में ही सिमटे हुए हैं।

भारतीय वन्यजीव संस्थान का कहना है कि शेष जंगल में भी अगर बाघों के लिए प्राकृतिक आहार की व्यवस्था कर ली जाए तो मानव वन्यजीव संघर्ष को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वाईवी झाला के मुताबिक बाघों की संख्या में यह इजाफा 2006 के बाद से देखने को मिल रहा है। हाल ही में बाघ गणना में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भी सहयोग किया था और यह गणना विश्व में रिकार्ड स्थापित करने वाली भी साबित हुई।

इस गणना में 26838 स्थानों पर कैमरे लगाए गए। यह अपने आप में रिकार्ड है। इससे करीब 3.5 करोड़ फोटोग्राफ सामने आए। इन्हें एक विशेष सॉफ्टवेयर (कोट्रेट, एक्सट्रेट कंपेयर, हॉटस्पोटर) से छांटा गया।

सबसे खास बात यह है कि बाघों का आवासीय वन क्षेत्र करीब 3.8 लाख वर्ग किलोमीटर का पाया गया है। इसमें से बाघ मात्र 88985 वर्ग किलोमीटर में सिमटे हुए हैं। ऐसे में शेष वन क्षेत्र में बाघों के लिए पर्याप्त आहार हो तो बाघों और मानव के बीच संघर्ष भी बहुत हद तक कम हो सकता है।

डा. झाला के मुताबिक बाघों की गणना को दुनिया में वन्यजीवों के सबसे बड़े सर्वे के रूप में देखा जा सकता है। यह गणना में 20 राज्यों का करीब 3.8 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सर्वे किया गया।