टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व बुधवार (21 नवंबर) से प्रारम्भ हो रही में टीम में शामिल नहीं हैं। लंबे समय तक क्रिकेट में अपना दबदबा बनाए रखने के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में महेंद्र सिंह धोनी के बिना टी-20 मैच खेलेगी। महेंद्र सिंह धोनी की महत्ता सिर्फ बल्ले व विकेट के पीछ ही नहीं रही बल्कि वह हमेशा तमाम मुश्किल मौकों पर सही फैसला लेने के लिए जाने जाते हैं। टी-20 में उन्हें अक्सर बल्लेबाजी का मौका नहीं मिलता, लेकिन हमने विकेट के पीछ खड़े होकर गेंदबाजों को सही लेंथ पर गेंद डालने व डीआरएस (DRS) का सही प्रयोग करते धोनी को देखा है।
ऑस्ट्रेलिया में 2016 में खेली गई टी-20 सीरीज में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से मात दी थी। हिंदुस्तान ने पहला टी-20, 37 रनों से, दूसरा 27 रनों व तीसरा 7 विकेट से जीता था। भारतीय टीम इस बार भी ऑस्ट्रेलिया से सीरीज जीतना चाहेगी, लेकिन इस बार उसे यह महेंद्र सिंह धोनी के बिना ही करना होगा।
बेशक ऑस्ट्रेलिया इस समय निर्बल टीम है। वह दक्षिण अफ्रीका व पाक से सीरीज पराजय चुकी है, लेकिन अपने घर में वह ‘शेर’ है। उनके पास ऐसे बल्लेबाज व गेंदबाज हैं जो कभी भी मैच का पासा पलट सकते हैँ। इसमें कोई शक नहीं हैं कि हिंदुस्तान के पास विराट कोहली व रोहित शर्मा जैसे महान बल्लेबाज हैं, लेकिन टीम को सामूहिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने वाला शायद कोई नहीं है।
विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध टी-20 में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 60.42 की औसत से 423 रन बनाए हैं, लेकिन यह उस दौर की बात है जब वह कप्तान नहीं थे। बल्लेबाजी में कोहली का आज भी कोई मुकाबला नहीं है। वह आधुनिक क्रिकेट में सबसे शानदार बल्लेबाज माने जाते हैं। लेकिन कई मौकों पर उनकी कप्तानी में खामियां देखी गई हैं। वह व्यक्तिगत प्रदर्शनों में यकीन करते हैं व महेंद्र सिंह धोनी को टीम से सामूहिक प्रदर्शन कराने के लिए जाना जाता है।
महेंद्र सिंह धोनी ही हैं, जिन्होंने भारतीय टीम को पहला टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब जितवाया था। वह इस्तेमाल करने में भी पीछे नहीं रहते। उनकी कूलनेस उन्हें बड़ा खिलाड़ी बनाती है। वह पराजय गुस्सा नहीं होते व जीत पर उत्तेजना उनके चेहरे पर नजर नहीं आती।
महेंद्र सिंह धोनी अब तक 93 टी-20 खेल चुके हैं। वह 80 पारियों में 40 बार नाबाद रहते हुए 37.17 की औसत से 1487 रन बना चुके हैं। उनका अधिकतम स्कोर 56 है। टी-20 में वह 47 छक्के भी लगा चुके हैं, लेकिन धोनी का आकलन आंकड़ों से संभव नहीं है। जब वह यजुवेंद्र चहल या कुलदीप यादव को विकेट के पीछे से कहते हैं कि यहां गेंद डालो, या ऐसी गेंद डालो व गेंदबाज को विकेट मिलती है तो इसका कोई आंकड़ा नहीं होता।
महेंद्र सिंह धोनी सही अर्थों में एक लीडर हैं, जो खुद ही प्रदर्शन करके टीम को जीत नहीं दिलाते बल्कि टीम से प्रदर्शन करा कर टीम को आगे ले जाते हैं। महेंद्र सिंह धोनी व विराट कोहली में मूल रूप से यही फर्क है। बावजूद इसके कोहली की टीम को किसी भी तरह कम नहीं आंका जा सकता। लंबे समय से धोनी को किसी आदत की तरह स्वीकार कर चुकी भारतीय टीम पहली बार उनके बिना खेलेगी। देखना है टीम धोनी की कमी महसूस करती है या नहीं।