उत्तर प्रदेश लोकसभा रिजल्ट के लिए काउंटिंग जारी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीटों में से एक रामपुर पर शुरुआती रुझान पलट गए हैं। इस क्षेत्र में ईवीएम खुलने बाद लगातार ऐसे रुझान आ रहे थे कि भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा आगे चल रही हैं। लेकिन दोपहर दस बजे आकस्मित रुझान पहट गए व जया प्रदा के बरक्स आजम ने बढ़त बना ली।
रामपुर सीट का इतिहास
रामपुर ऐसी लोकसभा सीट है जहां से चुनाव जीतकर अबुल कलाम आजाद देश के पहले एजुकेशन मंत्री बने थे। बात 1952 की है। लेकिन उसके बाद सिर्फ 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनावो को छोड़ दिजा जाए तो कांग्रेस पार्टी लगातार 1989 तक लगातार जीती।
1977 व 1991 में दो बार राजेंद्र कुमार शर्मा ने यहां से जीत हासिल की थी व दोनों ही बार भिन्न-भिन्न पार्टियों की टिकट पर। ’77 में वो जहां जनता पार्टी के टिकट पर थे तो ’91 में भाजपा के टिकट से। बाद में 1996 में कांग्रेस पार्टी की बेगम नूर बानों यहां से चुनाव जीतीं तो 1998 में मुख्तार अब्बास नकवी ने भाजपा के टिकट यह सीट फिर कब्जाई। 1999 में फिर जब बेगम नूर बानो जीतीं तो यह आखिरी बार था जब कांग्रेस पार्टी का इस सीट पर सिक्का चला था। उसके बाद समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी व अदाकारा जया प्रदा 2004 व 2009 जीतकर संसद पहुंचीं। 2014 में भाजपा के डॉ। नेपाल सिंह मोदी लहर में इस सीट से जीते थे।
जया प्रदा का इस सीट पर इतिहास
इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने पहुंचीं जया प्रदा यहां से दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। लेकिन तब अंतर ये था मुस्लिम बहुल इस इलाके में जया प्रदा को मुलायम सिंह यादव की वजह से एकमुश्त अल्पसंख्यक वोटों का लाभ हो जाता था। लेकिन इस बार की कहानी पिछली बार से उलट है। रामपुर विधानसभा सीट से 9 बार से लगातार विधायकी का चुनाव जीत रहे आजम खान जया प्रदा के सामने हैं। आजम खान की इलाके में बेहतर पैठ व वक्त गुजरने के साथ उन्होंने खुद को रामपुर की पहचान के तौर पर स्थापित किया।
ऐसे में जया प्रदा के लिए इस बार की चुनावी लड़ाई पहले जैसी सरल नहीं रहने वाली। जया के लिए समस्या कांग्रेस पार्टी की तरफ से संजय कपूर का खड़ा होना है।संजय कपूर लोकल नेता हैं। व इस स्थिति में त्रिकोणीय लड़ाई होने के सारे संभावना हैं।