भयानक प्रलय का मिला ये संकेत, 100 सेकेंड दूर…तबाह होगी पूरी दुनिया

इसके साथ ही उन्होंने कहा ‘खतरनाक और भय से प्रेरित कोविड-19 महामारी एक एतिहासिक वेक अप कॉल की तरह काम करता है। यह बताता है कि राष्ट्रीय सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं न्यूक्लियर हथियार और जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं।’ लेकिन ये सवाल है कि प्रलय की घड़ी क्या है और जब यह मध्यरात्री तक पहुंचेगी तो क्या होगा?

बता दें, इस घड़ी का निर्माण बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने 1947 में किया था। ये एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप है, जिसका गठन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के छात्रों ने 1945 में किया था। इसके बोर्ड सदस्यों में 13 नोबल पुरस्कार विजेता हैं।

खतरा दिखाने वाली प्रलय की घड़ी ये दिखाती है कि पृथ्वी त्रासदी से कितनी दूर है। इस घड़ी से पता लगाया जाता है कि न्यूक्लियर घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरों का असर दुनिया पर पड़ने में कितना समय है।

वहीं बावा वैंगा ने भी 2021 को लेकर कई भविष्यवाणियां की हैं। जिसके चलते उनकी भविष्यवाणी के मुताबिक, मानवता के लिए साल 2021 बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।

ऐसे में प्रलय के बारे में जानकारी देते हुए बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट के अध्यक्ष रेचल ब्रॉन्सन ने बताया ‘कयामत की घड़ी के कांटे मध्यरात्री से 100 सेकंड दूर हैं।’

आगे उन्होंने बताया कि कांटे मध्यरात्री के पहले से ज्यादा करीब हैं। ब्रॉन्सन ने विज्ञान में भरोसे की कमी औऱ कोरोना वायरस महामारी से का सामना करने में पूरी तरह से कमी की बात कही है। पिछले बीते साल घड़ी मध्यरात्री से 2 मिनट की दूरी पर थी, जो बाद में खिसकर 100 सेकंड पर आ गई थी।

प्रलय को लेकर खतरा दिखाने वाली घड़ी ने खतरनाक इशारा किया है। ये घड़ी मध्यरात्रिय से लगभग 100 सेकेंड दूर है। घड़ी के कांटों का मध्यरात्रि तक पहुंचने का ये अर्थ है कि दुनिया में प्रलय जल्द ही आने की संभावना है।

ऐसे में सबसे खास बात ये है कि दुनिया कोरोना वायरस महामारी, न्यूक्लियर युद्ध और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से तो पहले से ही बुरी तरह जूझ रही है। जबकि इस घड़ी ने 2020 में भी इतना ही समय बताया था।