बड़ी खबर उत्तर प्रदेश में शुरुआती रुझान में ये सरकार है सबसे आगे, जानिए ऐसे

लोकसभा चुनाव की मतगणना प्रारम्भ हो चुकी है. उत्तरप्रदेश में शुरुआती रुझान में बीजेपी आगे दिख रही है. यहां गठबंधन का कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है. उप्र मेंसबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें हैं. 2014 में इनमें से एनडीए को 73 पर जीत मिली थी. देखना है कि वह इस बार पिछला प्रदर्शन दोहरा पाता है या गठबंधन फॉर्मूला हिट होता है?

26 वर्ष बाद सपा-बसपा का गठबंधन हुआ

मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था. 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ. तब बीएसपी की कमान कांशीराम के पास थी. सपा 256 व बीएसपी 164 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. सपा को 109 व बीएसपी को 67 सीटें मिली थीं. हालांकि, 2 जून 1995 को गेस्ट हाउस काण्ड के बाद यह गठबंधन टूट गया. तब लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती के साथ सपा समर्थकों ने बदसलूकी की थी.

2014 में सपा-बसपा साथ लड़ते तो क्या नतीजे होते?

2014 में उत्तरप्रदेश में सपा, बीएसपी व रालोद ने भिन्न-भिन्न चुनाव लड़ा था. जबकि बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. एनडीए ने 73 पर जीत हासिल की थी. इनमें से 31 सीटों पर सपा, 34 पर बीएसपी व एक पर रालोद दूसरे जगह पर रही थीं. तब ये दल मिलकर लड़े होते तो वोट फीसदी(22.3+19.8+0.9) 43% हो जाता. तब यह बीजेपी व उसके सहयोगी के वोट फीसदी (42.6+1) से 0.6% कम रहता. सपा, बीएसपी व रालोद मिलकर चुनाव लड़ते वसारे वोट ट्रांसफर करने में सफल हो जाते तो 53 सीटें ऐसी थीं जिन पर ये एनडीए उम्मीदवारों से ज्यादा वोट हासिल कर सकते थे.

2014 के नतीजे

पार्टी सीटें वोट प्रतिशत
भाजपा 71 42.6%
सपा 5 22.3%
कांग्रेस 2 7.5%
अपना दल 2 1%
बसपा 0 19.8%
आरएलडी 0 0.9%

कांग्रेस ने 73 सीटों पर लड़ा चुनाव, प्रियंका-सिंधिया को महासचिव बनाया
कांग्रेस व सपा 2017 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ी थीं. हालांकि, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को गठबंधन में शामिल नहीं किया गया है. गठबंधन ने अमेठी व रायबरेली से उम्मीदवार न उतारने का निर्णय किया था. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी सात सीटें गठबंधन के लिए छोड़ दी थीं. कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी व ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी देते हुए पार्टी का महासचिव बनाया था. प्रियंका ने पहली बार सक्रिय पॉलिटिक्स में कदम रखा व पूर्वी उत्तरप्रदेश की लगभग हर सीट पर प्रचार किया.

उत्तरप्रदेश: मोदी ने 31, राहुल ने 17 जनसभाएं कीं
इस लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का मुख्य फोकस उत्तरप्रदेश-बंगाल व ओडिशा में रहा, वहीं राहुल ने केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ को तवज्जो दी. मोदी ने उत्तरप्रदेश में 29 व राहुल गांधी ने 17 रैलियां कीं.

उत्तरप्रदेश की बड़ी सीटें

नरेंद्र मोदी (वाराणसी): मोदी इस सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में रहे. शालिनी यादव सपा-बसपा की संयुक्त उम्मीदवार थीं. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने अजय राय को दोबारा टिकट दिया.

सोनिया गांधी (रायबेरली): यह कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट है. सोनिया यहां से लगातार तीन बार सांसद रही हैं. इस सीट से दो बार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी व एक बार फिरोज गांधी भी संसद चुने गए थे. इस बार सोनिया के विरूद्ध बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया. सपा-बसपा गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारा.

राहुल गांधी (अमेठी): वे अमेठी व केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़े. अमेठी से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दोबारा टिकट दिया. पिछली बार वे यहां से पराजय गई थीं. सपा-बसपा गठबंधन ने इस सीट से भी कोई उम्मीदवार नहीं उतारा.

राजनाथ सिंह (लखनऊ): बीजेपी का गढ़ कही जाने वाली इस सीट से वे लगातार दूसरी बार चुनाव लड़े. पिछली बार वे जीते थे. सपा ने यहां से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम व कांग्रेस पार्टी ने प्रमोद कृष्णम को टिकट दिया. इस सीट से पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पांच बार सांसद रहे.

मुलायम सिंह यादव (मैनपुरी): 2014 में वे मैनपुरी के साथ ही आजमगढ़ से भी चुनाव लड़े थे व दोनों सीटों पर जीते थे. हालांकि, बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट अपने पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव के लिए छोड़ दी थी. मुलायम इस सीट से चार बार चुनाव जीते.

अखिलेश यादव (आजमगढ़): इस सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार व भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ से था.कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा.

मेनका गांधी (सुल्तानपुर): केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के लिए यह सीट नयी थी. पिछली बार वे पीलीभीत से जीतकर संसद पहुंचीं थीं. इस बार उन्होंने वह सीट बेटे वरुण गांधी के लिए छोड़ दी. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व सांसद संजय सिंह को टिकट दिया है. मेनका पीलीभीत से 6 बार सांसद रह चुकी हैं.

वरुण गांधी (पीलीभीत): भाजपा के युवा नेता वरुण पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वे 2014 में सुल्तानपुर से चुनाव जीते थे. वरुण यहां से 2009 में लोकसभा चुनाव जीते थे.

अजीत सिंह (मुजफ्फरनगर): इस सीट पर 2013 दंगों के बाद जाट व मुस्लिम समुदाय अलग हो गया था. 2014 में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई थी. इस बार यहां से रालोद प्रमुख अजीत सिंह मैदान में हैं. 2014 में वे अपने गढ़ बागपत में पराजय गए थे. उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से है.

डिंपल यादव (कन्नौज): उत्तरप्रदेश के पूर्व सीएम व सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव इस बार भी कन्नौज सीट से चुनाव लड़ रही हैं. 2014 में उन्होंने बीजेपी के सुब्रत पाठक को हराया था. इस बार भी बीजेपी ने पाठक पर ही भरोसा जताया है. अखिलेश भी इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं.

इस बार के एग्जिट पोल में अनुमान:

उप्र : कुल 80सीटें भाजपा+ महागठबंधन कांग्रेस
एबीपी न्यूज 33 45 2
इंडिया टुडे-एक्सिस 62-68 10-16 1-2
इंडिया न्यूज-पोलस्ट्रेट 37 40 2
टाइम्स नाऊ-वीएमआर 58 20 2
रिपब्लिक-सी-वोटर 38 40 2
न्यूज 18 60-62 17-19 1-2
न्यूज 24-चाणक्य 65 13 2