ब्रेन स्ट्रोक के हो सकते है ये लक्षण इससे रहेना होगा सावधान

सबसे पहले पैरालिटिक स्ट्रोक (शरीर के एक तरफ लकवे की स्थिति) क्लॉट जमने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए रक्तपतला करने की दवाएं लें. यदि रोगी हाई बीपी, मधुमेह या कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा ले रहा है तो वह उन्हें नियमित ले. धूम्रपान करते हैं तो तुरंत बंद करें. नियमित रूप से अभ्यास कर वजन कम करें. तला-भुना भोजन और नमक कम ही खाएं. दिल संबंधी रोगों से भी बे्रन स्ट्रोक होने कि सम्भावना है. इसलिए चेकअप कराएं.

यदि आदमी हाई बीपी के लिए नियमित दवाएं ले तो क्या उसे फिर भी ब्रेन स्ट्रोक होने कि सम्भावना है?
हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत पर नियमित दवाएं लेने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कम हो जाएगा लेकिन खत्म नहीं. रोग के कई कारणों में से हाई बीपी एक है. ऐसे में यदि ब्लड प्रेशर नियंत्रित है  दूसरे कारक अनियंत्रित हों तो भी स्ट्रोक का खतरा रहता है.

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षणों को अंग्रेजी के शब्द फास्ट (एफएएसटी) से पहचान सकते हैं. एफ (फेस) चेहरा टेढ़ा होना. ए (आर्म) एक हाथ का कार्य न करना. एस (स्पीच) बोलने, समझने में परेशानी  टी (टाइम) इमरजेंसी है. स्ट्रोक से पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाएं. कुछ लक्षण भी दिखाई देते हैं, लेकिन ये सबसे प्रमुख हैं.

क्या ब्रेन स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है?
हां, स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर रोगी को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं. यहां क्लॉट डिजॉल्विंग ड्रग्स देकर या इंटरवेंशन तकनीक से क्लॉट निकालकर रोग को शुरूआती स्टेज में नियंत्रित कर सकते हैं. बड़े अस्पतालों में उपचार के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं.