बैंकिंग धोखाधड़ी को लेकर एक और मामला सामने, नामी बैंक के वाइस प्रेसिडेंट हुए शिकार

बैंकिंग धोखाधड़ी को लेकर एक और मामला सामने आया है। लेकिन यहां धोखाधड़ी का शिकार कोई और नहीं बल्कि एक नामी बैंक के वाइस प्रेसिडेंट ही हो गए। नामी बैंक के वाइस प्रेसिडेंट के एकाउंट से कार्ड क्लोनिंग के जरिए 1.8 लाख रुपए गायब हो गए हैं। वाइस प्रेसिडेंट का नाम है योगेश बलचानी जो कि वर्ली में अपने ऑफिस के बाहर टहल रहे थे कि उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया कि उनके क्रेडिट कार्ड अकाउंट से करीब 10 हजार रुपए निकाल लिए गए हैं।

मोबाइल पर एक के बाद एक आए 17 मैसेज

जब तक योगेश को कुछ समझ में आता तब तक उनको मोबाइल पर इसी तरह के 17 मैसेज आ गए। और पता चला कि कुछ ही मिनटों में उनके अकाउंट से 1.8 लाख रुपए निकल चुके थे। मुंबई मिरर की रिपोर्ट को मुताबिक उन्होंने कार्ड ब्लॉक कराया लेकिन तब तक पैसे निकाल लिए गए थे। यह मामला अब सामने आया है लेकिन यह घटना एक महीने पहले का है। जब मामला पुलिस में पहुंचा तो उन्होंने इसे कार्ड क्लोनिंग बताया। लेकिन हैरानी की बात ये है कि लगभग एक महीने बीत चुके हैं लेकिन पुलिस के हाथ कोई भी सुराग नहीं लगे हैं।

कंपनी के दिशा निर्देशों की कारण कुछ नहीं बता पा रहे योगेश

वर्ली पुलिस थाने के अधिकारी की माने तो उन्हें पता चला है कि नवी मुंबई के किसी एटीएम का इस्तेमाल पैसे निकालने के लिए किया गया है। फिलहाल पुलिस सीसीटीवी की मदद से सुराग ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। अंधेरी के रहन वाले योगेश की बैंकिंग कंपनी का हेडक्वार्टर स्विट्जरलैंड में है। जो कि अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप में काम करती है। भारत में भी इसके ऑफिस हैं। हालांकि योगेश इस मामले में ज्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं , उन्होंने कहा कि कंपनी के दिशा निर्देशों के कारण वह इस बारे में नहीं बता सकते हैं।

धोखाधड़ी के लिए लेते हैं स्किमिंग डिवाइस की मदद

बता दें कि कार्ड क्लोनिंग के जरिए धोखाधड़ी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में ऐसे मामले देखने को मिल चुके हैं। अपराधी एटीएम मशीन में स्किमिंग डिवाइस, मिनी कैमरा या फिर रीडर लगाकर पिन कोड और दूसरी जानकारी ले लेते हैं और फिर उसकी जरिए दूसरा कार्ड तैयार कर लेते हैं। यह सब संभव हैं स्किमिंग डिवाइस के जरिए होता है। यह डिवाइस एटीएम में ही फिट किया जाता है। और जैसे ही आप अपना कार्ड एटीएम में डालेंगे वो कार्ड की मैग्नेटिक पट्टी में लगी जानकारी चुरा लेते हैं और फिर उसी के जरिए क्लोन तैयार करते हैं और फिर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं।