बुर्के पर प्रतिबंध पर जावेद अख्तर ने कह दी घूंघट को हटवाने की ये बात, लोकतंत्र पर उठाए ये सवाल

लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने कहा है कि अगर भारत में बुर्के पर प्रतिबंध लगता है तो केंद्र सरकार राजस्थान में मतदान से पहले घूंघट पर प्रतिबंध लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने शायद मजबूरी में साध्वी प्रज्ञा को भोपाल सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया। अख्तर ने भाजपा के राज में लोकतंत्र पर सवाल उठाए।

कहा- भाजपा की यह विचारधारा है कि अगर तुम हमारे साथ नहीं, तो तुम एंटी नेशनल हो। अख्तर एक कार्यक्रम के सिलसिले में गुरुवार को भोपाल में थे।

अख्तर ने कहा- 2019 का चुनाव देश के लिए महत्वपूर्ण है। ये चुनाव एक दोराह है, और जिस रास्ते पर देश जाएगा वो बहुत लंबा होगा। ये चुनाव तय करेगा कि मुल्क किस रास्ते पर जा रहा है। कई मोदी आएंगे और चले जाएंगे, देश है और रहेगा।

उन्होंने कहा कि प्रज्ञा सिंह को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारकर हार स्वीकार कर ली। साध्वी के श्राप से एक देशभक्त शहीद हो सकता है तो उन्हें ऐसा श्राप हाफिज सईद और दूसरे आतंकियों को भी देना चाहिए। दरअसल, प्रज्ञा ने मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया था। इस पर चुनाव अयोग ने उन पर 72 घंटे का प्रतिबंध भी लगाया है।

देश में प्रेसिडेंशियल चुनाव नहीं हो रहा: जावेद अख्तर ने कहा, ‘मैं राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखता और ‘चौकीदार चोर है’ जैसी भाषा का समर्थन नहीं करता। प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों ही पसंद नहीं। इस बार भाजपा की सरकार नहीं बन रही।’

इसके साथ ही, जावेद अख्तर ने कहा कि देश में प्रेसिडेशियल चुनाव नहीं हो रहा है जो किसी एक आदमी के नाम पर वोट मांगा जा रहा है। यहां सांसदों के लिए चुनाव हो रहा है। लोग अपना सांसद चुनेंगे, न की मोदी और राहुल को। इस बार मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।

बुर्के पर नहीं चेहरा ढंकने पर लगा प्रतिबंध

भारत में श्रीलंका की तरह बुर्के पर बैन की हो रही मांग को लेकर किए प्रश्न के जवाब में अख्तर ने कहा कि श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध नहीं लगा, बल्कि चेहरा ढंकने पर प्रतिबंध लगा है।

वे असल रूप में आ गए हैं : जावेद ने कहा कि मैं न भाजपा का हूं न कांग्रेस का। मेरे बाप दादा कालापानी में मरे हैं। मुझे कोई देशभक्ति नहीं सझाए। ऐसे कई मोदी आए और गए। हिंदुस्तान है और हमेशा रहेगा। उनके पास कुछ नही बचा था तो वो प्रज्ञा के जरिये खुलकर अपने असल रूप में आ गए हैं। आप प्रज्ञा को चुनाव लड़वाएँगे और ये उम्मीद करेगे लोग उसे वोट दें। क्या यही मिली थी भोपाल के लिए। प्रज्ञा को खड़ा करना ये बताता है कि आप भोपाल के लोगो को कितना तुच्छ समझते हैं। रावण जब सीता हरण के लिए आया था तो वो साधु बनकर आया।