बुरी खबर : किसानों की हुई मौत , अब हो सकता है ऐसा…सड़कों पर…

किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक वे संघर्ष के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्हें महीनों तक सड़कों पर बिताना पड़े तो वे पीछे नहीं हटेंगे। इसके लिए राशन से लेकर दवाईयों तक हर चीज का इंतजाम कर लिया है। यही नहीं किसानों का कहना है कि अपने हक के लिए वे अपनी जान की परवाह भी नहीं करेंगे।

 

पंजाब और हरियाणा से पहुंचे किसान प्रदर्शन के साथ-साथ अपने खाने-पीने के साथ सड़कों पर ही हर काम कर रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर नहाने के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। वे यहीं पर अपने कपड़े भी धोते हैं। बाद में पंप की सफाई करते हैं। सड़कों के किनारों पर ही खाना पका कर भोजन का बंदोबस्त करते हैं।

अपने घरों और खेतों से दूर दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि वे लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे हटेंगे नहीं।

बुधवार देर शाम एक और किसान गुरजंत सिंह की मौत हो गई। उनकी उम्र 60 साल थी। बहादुरगढ़ बॉर्डर उनकी मौत हो गई। इससे पहले दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान गुरुभाष सिंह की मौत हुई थी। वहीं पिछले सात दिनों में चार किसानों की मौत हो चुकी है।

नए कृषि कानूनों ( Farm Bill ) के खिलाफ देश का अन्नदाता अपनी जान की परवाह किए बगैर सड़कों पर डंटा है। ना तो सर्दी और ना ही कोरोना वायरस जैसी जानलेवा बीमारी उनके कदम रोक पाए हैं।

सात दिन के संघर्ष के बीच चार किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। जान हथेली पर रखकर भी किसान अपनी मांगों के लिए, अपने हक के लिए सरकार से सीधी लड़ाई ( Farmer Protest ) लड़ रहा है।