बुद्ध पूर्णिमा के दिन पुरे होंगे सारे बिगड़े काम, बस करे ये सरल उपाय

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह को पवित्र माह माना गया है. वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा बोला जाता है. इसी दिन भगवान बुद्ध की जयंती निर्वाण दिवस भी बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है.

सुखी ज़िंदगी के लिए बुद्ध के चार सूत्र 

वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के ज़िंदगी से जुड़ी तीन अहम बातों – बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति एवं बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है. गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए उन्हें ‘चार आर्य सत्य’ के नाम से जाना जाता है. पहला दुःख है, दूसरा दुःख का कारण, तीसरा दुःख का निदान  चौथा मार्ग वह है, जिससे दुःख का समाधान होता है. भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह माध्यम है, जो दुःख के निदान का मार्ग बताता है. उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति  समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से इंटरव्यू कराता है.

दु:खों के पीछे भगवान बुद्ध ने बताया है यह कारण 

गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दु:खों का कारण उसके खुद का अज्ञान  मिथ्या दृष्टि बताया है. महात्मा बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में प्रवचन दिया था. उनका प्रथम उपदेश ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ के नाम से जाना जाता है, जो उन्होंने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पांच भिक्षुओं को दिया था.

भेदभाव रहित होकर हर वर्ग के लोगों ने महात्मा बुद्ध की शरण ली  उनके उपदेशों का अनुसरण किया. कुछ ही दिनों में सारे हिंदुस्तान में ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणम् गच्छामि’ का जयघोष गूंजने लगा. उन्होंने बोला कि केवल मांस खाने वाला ही अपवित्र नहीं होता बल्कि क्रोध, व्यभिचार, छल, कपट, ईर्ष्या  दूसरों की निंदा भी इंसान को अपवित्र बनाती है. मन की शुद्धता के लिए पवित्र ज़िंदगी बिताना महत्वपूर्ण है.

इस जगह पर प्राप्त हुआ महानिर्वाण
भगवान बुद्ध का धर्म प्रचार 40 सालों तक चलता रहा. अंत में यूपी के कुशीनगर में पावापुरी नामक जगह पर 80 साल की अवस्था में ई पू 483 में वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही महानिर्वाण प्राप्त हुआ.

कुशीनगर में लगता है विशला मेला
बुद्ध पूर्णिमा के मौका पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में एक महीने तक चलने वाले विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश के लाखों बौद्ध अनुयायी यहां पहुंचते हैं. वहीं आज के दिन बोधगया में जिस बोधिवृक्ष (पीपल वृक्ष) के नीचे भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी इस वृक्ष की जड़ों में दूध  सुगंधित पानी का सिंचन करके पूजा की जाती है.

विदेशों में भी मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ हिंदुस्तान में अपितु  दुनिया के कई अन्य राष्ट्रों में भी सारे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल थाईलैंड, मलयेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं. श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक’ के नाम से जाना जाता है, जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है. इस दिन बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं. दीप प्रज्जवलित कर बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं.