बिहार में अगले सप्ताह होने जा रहा ये, नीतीश कुमार के भी छूटे पसीने

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कुमार का नाम पिछले 2 दशकों में सात बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की विशिष्ट श्रेणी में आ जाएगा। उन्होंने सबसे पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन नहीं मिलने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।

 

साल 2005 में राजग को पूर्ण बहुमत मिलने पर कुमार मुख्यमंत्री बने। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन को देखते हुए नैतिक आधार पर कुमार ने मुख्यमंत्री पद त्याग दिया था।

हालांकि एक वर्ष से भी कम समय में वह सत्ता में वापस लौटे। साल 2015 में नीतीश कुमार के जदयू और लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था जिसे जीत हासिल हुई थी।

हालांकि, तब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम धनशोधन के मामले में सामने आने पर उन्होंने जुलाई 2017 में इस्तीफा दे दिया था। कुमार ने हालांकि अगले दिन ही भाजपा के सहयोग से नई सरकार बना ली थी।

सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे। बिहार में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने की राह पर बढ़ते हुए नीतीश कुमार अगले सप्ताह सोमवार या उसके बाद शपथ ग्रहण कर सकते हैं।

इससे पहले नवंबर के अंत में वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के मद्देनजर वह राज्यपाल को इस्तीफा भेज सकते हैं । बिहार में अभी तक सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर है जो इस पद पर 17 वर्ष 52 दिन तक रहे थे। नीतीश कुमार इस पद पर अभी तक 14 वर्ष 82 दिन तक रह चुके हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए को बहुमत प्राप्त होने के बाद सभी की निगाहें अगली सरकार के गठन पर टिकी हैं और ऐसी संभावना है कि दीपावली के बाद अगले सप्ताह नई सरकार का गठन हो सकता है।