बिना वैक्‍सीन के भी रोका जा सकता है कोरोना, रिसर्च में हुआ खुलासा…

वैज्ञानिकों ने कहा कि मानव बाल व्यास में लगभग 70 माइक्रोन हैं। उपयोग में आने वाले कई प्रकार के फेसमास्क में, जैसे कपड़ा मास्क, सर्जिकल मास्क और एन 95 मास्क है। उन्होंने कहा कि यह केवल बाद वाले एरोसोल-आकार की बूंदों को फ़िल्टर कर सकते हैं।

 

उन्होंने पाया कि हाइब्रिड पॉलिमर सामग्री से बने फेस मास्क उच्च दक्षता पर कणों को फ़िल्टर कर सकते हैं, साथ ही साथ चेहरे को ठंडा रखते हैं। अध्ययन के एक अन्य सह-लेखक हेव पूह ली ने कहा, “श्वास प्रतिरोध और फेस मास्क के प्रवाह प्रतिरोध के बीच कुछ संबंध हो सकते हैं, जो फेस मास्क पहनने वाले अंतराल के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होगी।”

ली ने कहा, “इसके अलावा, चेहरे पर मास्‍क के भीतर कम्पार्टमेंट स्पेस में पर्यावरणीय स्थिति को और अधिक सटीक रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए और इस तरह के अध्ययनों के लिए मानव प्रतिकृतियों का विकास किया जाना चाहिए।”

वैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक प्रभावकारी फेसमास्क का कम से कम 70 प्रतिशत निवासी सार्वजनिक रूप से उपयोग करते हैं तो इसको रोका जा सकता है। सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी के अध्ययन में लिखा, “कम कुशल कपड़े के मास्क भी फैलने की गति को धीमा कर सकते हैं।”

वैज्ञानिकों के अनुसार, फेस मास्क फंक्शन के एक प्रमुख पहलू में नाक और मुंह से निकाले गए द्रव की बूंदों का आकार शामिल होता है, जब कोई व्यक्ति बात करता है, छींकता है, खांसी करता है, या यहां तक कि सांस लेता है। उन्होंने कहा कि बड़ी बूंदें 5-10 माइक्रोन के आकार के साथ सबसे आम हैं। 5 माइक्रोन से नीचे की छोटी बूंदें संभवतः अधिक खतरनाक हैं।

एक बार फिर कोरोना दुनिया में लौटकर आया है। हालांकि अभी भी दुनिया को ऐसी वैक्‍सीन की तलाश है, जिसके बाद इस महामारी से लड़ा जा सके। लेकिन रिसर्च के अनुसार, बिना वैक्‍सीन के भी कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है। अध्ययनों की समीक्षा के अनुसार, यदि कम से कम 70 प्रतिशत जनता लगातार मास्क पहनती है तो इस वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है।

रिसर्च के अनुसार, मास्क का उपयोग वायरस के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने फेस मास्क पर किए गए अध्ययनों का आकलन किया और इस पर महामारी की रिपोर्टों की समीक्षा की कि क्या वे संक्रमित लोगों को वायरस की प्रजनन संख्या को कम करते हैं।