बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान ने कांग्रेस से की थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 

तृणमूल को छोड़ बीजेपी में शामिह हुए पश्चिम बंगाल के बिष्णुपुर बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान की शर्द को बीजेपी द्वारा मान लिया गया है और उन्हें उन्हीं के गढ़ बिष्णुपुर से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उतारने का फैसला किया है. बीजेपी सूत्रों द्वारा ही इसका खुलासा हुआ है. बता दें, सौमित्र ख़ान बुधवार को ही बीजेपी में शामिल हुए हैं.

तृणमूल से निकलने के बाद बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान के राजनितिक भविष्य को लेकर राजनीतिक माहौल में सरगर्मियां तेज़ हो गईं थी. जिसके बाद बीजेपी में शामिल होने से पहले सौमित्र ने दो शर्ते रखी थीं. पहली शर्त ये थी की उन्हें बिष्णुपुर से लोकसभा का टिकट दिया जाए और दूसरी शर्त यह थी की युवा बीजेपी मोर्चा का अध्यक्ष उन्हें बनाया जाए. हालांकि, सौमित्र की दूसरी शर्त को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मानने से इंकार कर दिया है लेकिन उनकी पहली शर्त मान ली गई है.

2019 के लोकसभा चुनाव में बिष्णुपुर से सौमित्र ख़ान का नाम तय हो गया है. बीजेपी ने ख़ान को अपने चुनावी क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने के लिए कहा है जिसके चलते कहा जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सौमित्र ख़ान बिष्णुपुर से चुनाव लड़ने के लिए तत्पर हैं. अब सिर्फ घोषणा होने का इंतजार है. मंगलवार रात से सौमित्र खबरों में थे कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है और उनके सहायक का अपहरण करने की कोशिश की जा रही है. जिसके चलते उन्होंने एक फेसबुक लाइव भी किया था और उसके बाद बुधवार को वह बीजेपी में शामिल हो गए.

तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होते ही सौमित्र ने तृणमूल पर आरोपों की झड़ी लगा दी. बुधवार दोपहर को बीजेपी सदर दफ्तर में बैठकर उन्होंने आरोप लगाते हुए बंगाल में कहा, ‘अभी दीदी-भतीजे का राज चल रहा है. युवाओ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है’ और इसके बाद से ही तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष तथा डायमंड हारबर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने सौमित्र ख़ान को चैलेंज दे दिया और कहा अगर हिम्मत है तो चुनाव में जीत कर दिखाएं. इसके जवाब में सौमित्र ख़ान ने कहा की बिष्णुपुर की जनता ही इसका फैसला करेगी.

ख़ान ने कांग्रेस से की थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत
सौमित्र ख़ान ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी जिसके बाद वो तृणमूल में शामिल हो गए और विधायक भी बने. फिर तृणमूल की तरफ से उन्हें लोकसभा की टिकट भी मिला और साल 2014 में बांकुड़ा के बिष्णुपुर लोकसभा से वह पहली बार सांसद बने लेकिन सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से ही सौमित्र और तृणमूल के बीच सम्बन्धो में खटास आ गई थी. बीजेपी में शामिल होने के लिए चुपके चुपके बातचीत भी चल रही थी और अंत में बुधवार को उन्होंने तृणमूल को छोड़ BJP का हाथ थाम लिया.