खेलों की भूमि हरियाणा को इस बार भी बजट से निराशा हाथ लगी है. केन्द्र सरकार के बजट में खेल व खिलाड़ियों का केवल जिक्र हुआ है. बजट से विशेष कुछ नहीं मिला. इससे खिलाड़ियों और कोच सभी को मायूसी मिली है.
हालांकि राष्ट्रीय खेल एजुकेशन बोर्ड से युवा खिलाड़ियों के लिए खेलों का स्तर जरूर सुधरेगा, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए नया कुछ नहीं दिया गया है. जबकि पहले बजट में ग्रास रूट लेवल कमेटी तक बनाने की घोषणाएं आज तक सिरे नहीं चढ़ सकीं व इस बार भी खेलों के लिए कुछ ऐसा ही दिख रहा है. खेलों में हर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हरियाणा के खिलाड़ियों के सहारे ही देश का तिरंगा सबसे ऊपर लहराता है.
ओलंपिक से लेकर पैरा ओलंपिक तक की बात करें तो ओलंपिक में साक्षी मलिक, पैरा ओलंपिक में दीपा मलिक ने देश को तमगे दिलवाए थे. इनके अतिरिक्त भी खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं. जिनमें बजरंग पूनिया, विनेश फौगाट, नीरज चोपड़ा, अमित पंघाल, पूजा ढांडा, सीमा, अमित, मौसम, मनोज, अंकुर मित्तल के अतिरिक्त भी भारतीय महिला हॉकी की पूरी टीम शामिल है.
खेलों में हरियाणा अब इस स्तर पर पहुंच चुका है, जहां कुश्ती, बॉक्सिंग, कबड्डी, हॉकी की टीम चुनी जाती है तो उसमें सबसे ज्यादा हरियाणा के खिलाड़ी रहते हैं. इतनी उपलब्धियों के बाद भी सरकार के बजट से खिलाड़ियों को मायूसी मिली है, क्योंकि बजट में खेलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कुछ नहीं दिया गया जिससे खिलाड़ियों को कुछ बेहतर करने में सरकार की ओर से सहारा मिल सके. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि पिछले वर्ष का बजट भी खिलाड़ियों के लिए सूखा ही रहा था.
सरकार को खेलों के लिए भी आम बजट में कुछ रखना चाहिए था, जिससे खिलाड़ियों को उसका लाभ मिल सके. राष्ट्रीय खेल एजुकेशन बोर्ड किस तरह से कार्य करेगा व उसका खिलाड़ियों को किस तरह से लाभ मिलेगा, यह उसके बनने के बाद ही साफ हो सकेगा. अगर उसका खिलाड़ियों को लाभ मिलता है तो यह बहुत ज्यादा अच्छा होगा.