फेफड़ों से जुड़ी बीमारी को दूर करने के लिए करे ये उपाय

सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है. इसमें श्वांस नालियों में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है.

 

मरीज को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. मरीज का वजन घटने लगता है. अगर समय पर उपचार न हो तो यह सीओपीडी सिंड्रोम में बदल जाता है. समय पर उपचार न मिलने से हार्ट, ब्रेन, मसल्स  हड्डियों पर प्रभाव होता है.

ओपीडी में बार-बार कफ (सफेद बलगम) बनता है. कफ बनने से मरीज बिना डॉक्टरी सलाह के ही दूध या डेयरी प्रोडक्ट लेना बंद करता है जोकि ठीक नहीं है. दूध या डेयरी प्रोडक्ट लेने से कफ नहीं बनता है. डेयरी प्रोडक्ट्स न लेने से पोषकता की कमी से मांसपेशियों में दर्द, थकान  हड्डियों की कमजोरी हो जाती है. हल्की चोट से भी हड्डियां टूट जाती हैं. मरीज का वजन भी तेजी से कम होने लगता है.

जानें सीओपीडी सिंड्रोम-
सीओपीडी में फेफड़े ही संक्रमित होते हैं लेकिन ठीक उपचार नहीं होने, ऑक्सीजन की कमी से हार्ट  मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ने लगता है. मांसपेशियों  हड्डियों की कमजोरी होने लगती है. इसे सीओपीडी सिंड्रोम कहते हैं. इसका उपचार केवल दवाइयों से संभव नहीं है. इसके लिए मरीज को पॉल्मोनरी रिहैबिलिटेशन थैरेपी की आवश्यकता पड़ती है.

वैक्सीन से होता है बचाव –
इसका उपचार दवाइयों  इन्हेलर से किया जाता है. इससे सांस नली की सूजन घटती है  मरीज को सांस लेने में सरलता होती है. बीमारी बढ़े नहीं इसलिए मरीज को वैक्सीनेशन की आवश्यकता रहती है. दो तरह के टीके आते हैं. पहली फ्लू वैक्सीन वर्ष में एक बार  दूसरी न्यूमोकोकल वैक्सीन जो पांच वर्ष में एक बार लगवाने की आवश्यकता पड़ती है.

योग-व्यायाम फायदेमंद –
इसमें पर्स लिप ब्रीदिंग  डायफ्रॉमेटिक अभ्यास करें. साथ ही योग विशेषज्ञ की सलाह पर 45-50 मिनट ध्यान-प्राणायाम करें. योग से मनोबल  इम्युनिटी दोनों ही बढ़ते हैं. प्राणायाम से सांस की क्षमता बढ़ती है  फेफड़े मजबूत होते हैं. चंद्र अनुलोम- विलोम, कपाल- भाति, धुनरासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, गोमुखासन, गरुणासन आदि करें.

दूध न लेने से होती हैं कई समस्याएं –
दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन्स  मिनरल्स होते हैं. इसे संपूर्ण आहार बोला जाता है. कई मरीज कफ बनने के भय से सालों से दूध और डेयरी प्रोडक्ट नहीं लेते हैं. इससे वे निर्बल होने लगते हैं  दूसरी समस्याएं होने लगती हैं. सीओपीडी के मरीजों को दिन में दो बार दूध पीना चाहिए. अगर हार्ट की समस्या नहीं है तो प्रतिदिन 2-3 चम्मच घी भी लेना अच्छा रहता है. डेयरी प्रोडक्ट ठंडा या खट्टा न लें. मरीज भरपूर मात्रा में फल, हरी सब्जियां  मांस-मछली लें. अगर ज्यादा खाने से सांस लेने में कठिनाई होती है तो पांच-छह बार में थोड़ा-थोड़ा खाएं. सीओपीडी के मरीजों को मीठा खाने से बचना चाहिए.