प्याज़ से फ़ैल रहा ब्लैक फंगस, जानिए हैरान कर देने वाली पूरी खबर

डॉ गुलेरिया ने ब्लैक फंगस से बचने के उपायों के बारे में बताते हुए कहा है कि जो व्यक्ति लगातार स्टेरॉयड ले रहा है या किसी बीमारी के कारण उसे स्टेरॉयड लेना पड़ रहा है, तो उसे कोई भी फंगस लग सकता है.

इनमें एक mucormycosis भी है. यह आंख, नाक और ब्रेन को प्रभावित करता है. कुछ मामलों में यह फेफड़ों को भी संक्रमित करता है. इस प्रकार ब्लैक फंगस को रोकने का सबसे बेहतर उपाय यही है कि स्टेरॉयड का उपयोग न करें. इसके बाद शुगर पर नियंत्रण रखें. जो व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में नहीं हैं, उन्हें भोजन में शुगर की मात्रा को कम कर देनी चाहिए.

बता दें कि फ्रीज के भीतर जो काली काई जमी होती है या प्याज पर जो काली परत चढ़ी होती है, वह ब्लैक फंगस यानी mucormycosis से बिल्कुल अलग है. इसका ब्लैक फंगस से कोई संबंध नहीं है. यह दावा पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है.

AIIMS के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि दरअसल, ब्लैक फंगस का नाम ही गलत है, क्योंकि ब्लैक फंगस काले रंग का नहीं होता. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के कारण स्किन में ब्लड सप्लाई रूक जाती है जिससे स्किन पर काला धब्बा पड़ने लगता है. शायद यही कारण है कि ब्लैक फंगस या फंफूद नाम पड़ गया है. ब्लैक फंगस का नाम mucormycosis है.

ऐसा ही एक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में ब्लैक फंगस से सावधान रहने को कहा गया है. पोस्ट में दावा किया गया है कि जब आप प्याज खरीदते हैं .

तो इसके ऊपर यदि काली परत बैठी हुई तो समझिए यह ब्लैक फंगस है. इसी प्रकार फ्रीज के भीतर रबर में भी काली परत चढ़ जाती है. यह भी ब्लैक फंगस ही है.

यदि आप इस पर ध्यान नहीं देंगे तो फ्रीज में जो सब्जी रखी है, उसमें यह ब्लैक फंगस समा जाएंगे और आपके शरीर के अंदर घुस जाएंगे. इससे आपको ब्लैक फंगस mucormycosis से संक्रमण हो जाएगा. यही नहीं फ्रीज में रखे सारे खाद्य पदार्थ ब्लैक फंगस से दूषित हो जाएंगे.

देश में एक तो कोरोना कहर बरपा रहा है और ऊपर से फर्जी खबर और अफवाहों की बाढ़ आई हुई है. हर कोई बिना दिमाग सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट कर रहा है और इसे अधिकांश अविवेकी लोग सत्य समझ लेते हैं.

ऐसी खबरों का वहीं लोग अनुसरण करते हैं जिसमें ज्ञान की गहराई और खुद से सोचने का विवेक नहीं है. बिना सबूतों वाली खबरों पर विश्वास करना न केवल खतरनाक है, बल्कि समाज में दकियानूस सोच को बढ़ावा देना है.

अक्सर सरकारें ऐसी खबरों से लोगों को दूर रहने की सलाह देती हैं, किन्तु ऐसी खबरों की इस कदर बाढ़ आई हुई है कि इसपर निजात पाना बेहद कठिन लग रहा है.