पोप ने क्रिसमस के मौके का इस्तेमाल ‘अमीर होते जाने ली लालसा’ की निंदा करने के लिए किया?

पोप फ्रांसिस ने दुनिया भर के ईसाईयों को याद दिलाया है कि उनका मसीहा गरीबी में पैदा हुआ और इसीलिए उन्हें भी उपभोक्तावाद की जगह प्रेम और धर्मार्थ कामों पर ध्यान लगाना चाहिए.क्रिसमस के मौके पर सेंट पीटर्स बैसेलिका में पोप के संबोधन को सुनने लगभग दस हजार लोग पहुंचे. पोप ने क्रिसमस के मौके का इस्तेमाल ‘अमीर होते जाने ली लालसा’ की निंदा करने के लिए किया. उन्होंने ईसाईयों से कहा कि वे ईसा मसीह के सादगी भरे जन्म की कहानी से प्रेरणा लें.

न्यू टेस्टामेंट के अनुसार ईसा मसीह का जन्म बेथलेहेम के एक अस्तबल में हुआ था और उन्हें घास के एक टोकरे में रखा गया था. पोप ने वेटिकन में जमा श्रद्धालुओं से कहा, “उस घास के टोकरे के सामने खड़े होकर, हम समझते हैं कि जीवन के लिए भोजन भौतिक अमीरी नहीं, बल्कि प्यार है, लालच नहीं बल्कि दान है, तड़क भड़क नहीं बल्कि सादगी है.” उन्होंने कहा, “पूरे इंसानी इतिहास में कभी ना पूरा होने वाला एक लालच दिखाई देता है जो आज भी है. कैसा विरोधाभास है कि कुछ लोग आलीशान दावतें उड़ाते हैं जबकि बहुत से लोगों को पेट भरने के लिए रोटी भी नसीब नहीं होती.” यीशु के नक्शेकदम पर 2013 में कैथोलिक चर्च का प्रमुख बनने के बाद पोप फ्रांसिस लगातार गरीबी और असमानता पर बोलते रहे हैं. शनिवार को वेटिकन ने कहा कि उसने सेंट पीटर्स स्क्वेयर को एक नया क्लीनिक उपहार में दिया है जो रोम में रहने वाले बेघर लोगों की मदद करेगा.

चर्चा ने इसी स्क्वेयर पर 2015 में बेघर लोगों के लिए नहाने और बाल कटाने की दुकान खुलवाई थी. सोमवार को पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक ईसाईयों से कहा कि वे ”सांसारिकता और भौतिकता की तरफ ना फिसलें” और अपने आप से पूछें कि “क्या मैं अपनी रोटी उनके साथ साझा करता हूं जिनके पास कुछ नहीं है.” चर्च के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर बाल यौन शोषण के आरोपों के लगभग एक दशक पुराने स्कैंडल को लेकर 2018 में पोप फ्रांसिस ने काफी दबाव झेला.

इस बारे में उन्होंने कहा, “जिस किसी ने भी नाबालिगों का उत्पीड़न किया है, मैं उनसे कहूंगा: बदल जाओ और अपने आपको इंसानी न्याय को सौंप दो और दैवीय न्याय के लिए तैयार रहो.” एके/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स, एपी)