पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने कार्यकाल में वो बड़े निर्णय किए जिनकी मांग बहुत ज्यादा समय से की जा रही थी। बात चाहे GST की हो या फिर नोटबंदी जैसे कड़े निर्णय लेने की। जब कभी भी जेटली कोई बड़ा कदम उठाते थे तो उसके फायदे व नुकसान के बारे में गहन मंथन करते थे। आइए जानते हैं पूर्व वित्त मंत्री व दिवंगत नेता अरुण जेटली के कार्यकाल में लिए गए उन अहम फैसलों के बारे में जिन्होंने हिंदुस्तान को न्यू इंडिया में किया तब्दील
सारे देश में GST लागू करने का कार्य अरुण जेटली के कार्यकाल में किया गया।
भारत में कुछ वर्ष पहले तक सेल्स कर व दूसरे टैक्सों को मिलाकर बहुत सारे कर हुआ करते थे। इन सभी कर केा मिलाकर एक टैक्स, GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) बनाने का कार्यअरुण जेटली के कार्यकाल में किया गया। हालांकि इस कर को सारे देश में लागू करने के लिए सभी राज्यों की रजामंदी की आवश्यकता थी। उस वक्त एक नेशनल काउंसिल बनाई गई थी। इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री को शामिल किया गया था। सभी राज्यों की बात सुनकर उन्हें GST के लिए मनाना एक बड़ी बात थी। अरुण जेटली ने सभी राज्यों को एकमत किया व 1 जुलाई 2017 से सारे देश में GST को लागू किया गया।
अरुण जेटली ने वित्त मंत्री रहते हुए वन रैंक वन पेंशन लागू किया था।
वन रैंक वन पेंशन
पिछले बहुत ज्यादा समय से सैनिक वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे थे। कई सरकारें आईं व चली गईं लेकिन किसी ने भी इसे लागू करने की हौसला नहीं दिखाई। इस कार्य में सबसे बड़ी कठिन थी कि उनका वित्तीय पक्ष कैसे व्यवस्थित किया जाए। नरेन्द्र मोदी सरकार के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली ने तब के रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के साथ मिलकर इसकी योजना तैयार की व जो रास्ता निकाला वह काबिले तारीफ था। वन रैंक वन पेशन की योजना को हरी झंडी दिखाई गई व सैनिकों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो सकी।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़ने में अहम किरदार निभाई
रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाना
रेल बजट को आम बजट के साथ जोड़कर पेश करना भी आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ा परिवर्तन बना। रेलवे को कभी भी राजस्व लाने वाले मंत्रालय के तौर पर नहीं देखा गया। हालांकि रेलवे की जरूरतें लगातार बढ़ती गईं। ऐसे में रेलवे में सुधार व इसमें पब्लिक प्राइवेट साझेदारी को बढ़ाने व राजस्व हासिल करने के लिए कई अहम कमद उठाने महत्वपूर्ण थे। रेल बजट को आम बजट से जोड़ने से बहुत ज्यादा लाभ हुआ व रेलवे के नुकसान को भरने व उसके लिए नयी योजनाओं को तैयार करने में मदद मिली।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अहम जनधन योजना को अरुण जेटली ने सारे देश में लागू कराया।
जनधन योजना ने गरीबों को दिलाया हक
वर्ष 2014 भाजपा के सत्ता में आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने हर गरीब परिवार के पास बैंक खाता होने पर दिलचस्पी दिखाई। वित्त मंत्री के रूप में इस योजना को पूरा करने की ज़िम्मेदारी अरुण जेटली के पास थी। जनधन योजना को दुनिया में एक ऐसा बड़ा प्रोग्राम माना जाता है, जिसके माध्यम से डायरेक्ट बेनेफिट सिस्टम को लागू करने में मदद मिली। इस योजना को सारे देश में बेहतर ढंग से लागू करने अरुण जेटली की किरदार अहम रही।
नोटबंदी के बाद अरुण जेटली को सियासी दलों के विरोध का सामना करना पड़ा।
कालेधन को रोकने के लिए नोटबंदी का फैसला
ब्लैक मनी पर लगाम कसने के लिए नोटबंदी सबसे बड़े फैसलों में जाना जाता है। इस निर्णय ने हर सेक्टर के लोगों को नाराज किया। बड़े सियासी दल से लेकर व्यावसायिक घरानों तक ने इसका विरोध किया। नोटबंदी के बाद करीब तीन लाख शैल कंपनियों पर कार्रवाई हुई। नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखना व नए सिर से नए नोट जारी करना सरल कार्य नहीं था। उस वक्त बहुत से लोगों ने अरुण जेटली की आलोचना की थी। इसके बावजूद लगातार जेटली हर बैंक के अधिकारियों के साथ मीटिंग करते रहे व कुछ ही दिनों में दशा बेहतर हो गए। नोटबंदी को उस दौरान भाजपा के लिए गलत कदम करार दिया गया लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहले से बड़ी जीत दर्ज की।