पुलवामा हमले पर UN सुरक्षा परिषद में भारत को बड़ी मिली कामयाबी

जम्‍मू एवं कश्‍मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर 14 फरवरी को हुए जघन्‍य आतंकी हमले के संदर्भ में भारत को अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षा परिषद के सभी सदस्‍यों ने इस जघन्‍य कृत्‍य की कड़ी निंदा करते हुए इसके लिए जिम्‍मेदार लोगों और उन्‍हें वित्‍तीय मदद मुहैया कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात की है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के इस प्रस्‍ताव में पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद का भी जिक्र किया गया है, जिसने हमले की जिम्‍मेदारी ली है। इस प्रस्‍ताव का चीन ने भी समर्थन किया है, जो सुरक्षा परिषद का स्‍थाई सदस्‍य है और इस नाते उसे वीटो का अधिकार भी है, जिसका इस्‍तेमाल करते हुए उसने पूर्व में जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित किए जाने के भारत के प्रयासों में रोड़ा अटकाया है।

चीन सहित सुरक्षा पर‍िषद के सभी सदस्‍यों ने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से इस मसले पर भारत का सहयोग करने का आह्वान किया। सुरक्षा परिषद की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी, 2019 को जम्मू एवं कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए और जिसकी जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है।’

सुरक्षा पर‍िषद के बयान में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया गया है। इसे जैश सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए भारत के प्रयासों की दिशा में अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। फ्रांस पहले ही कह चुका है कि वह अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए जल्‍द संयुक्‍त राष्‍ट्र में प्रस्‍ताव लाएगा। यह पिछले 10 वर्षों में ऐसा चौथा प्रयास होगा।

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भारत ने 2009 और 2016 में भी अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए प्रस्‍ताव लाया था, जो जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले का भी मास्‍टरमाइंड है। 2016 में भारत पी3 देशों- अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से जुड़ गया, जिसके बाद इन देशों ने 2017 में भी अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए प्रस्‍ताव लाया। लेकिन चीन ने हर बार ऐसे प्रस्‍तावों का विरोध किया।