पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हरि सिंह शहीद

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हरियाणा के हरि सिंह शहीद हो गए। जम्मू-कश्मीर के पिंगलिना में रविवार देर रात हुई मुठभेड़ में भले ही तीन खूंखार आतंकियों की मौत हो गई, लेकिन इसमें देश के चार जांबाज़ जवान शहीद हो गए। शहीदों की फेहरिस्त में एक नाम रेवाड़ी के राजगढ़ गांव के रहने वाले बहादुर हरि सिंह का भी है। हरि सिंह आतंकियों से लोहा लेते-लेते देश के लिए बलिदान हो गए। हरि सिंह की शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची पूरा गांव मातम में डूब गया।

रेवाड़ी के राजगढ़ गांव को वीरों का गांव कहा जाता है। यहां के घर-घर में फौजी पैदा होता है। इस गांव ने देश को दर्जनों वीर सपूत दिए हैं और इन्हीं वीर सपूतों में हरि सिंह भी एक था। फौजी का बेटा शहीद हरि सिंह देश के लिए अपनी जान दे गया। हरि सिंह की शहादत पर गांव में गम का माहौल है। गलियां गमगीन है। लोगों के चेहरे मुरझाए हुए हैं और जुबा बार-बार एक ही मांग कह रही है कि हरि सिंह की शहादत का बदला लिया जाए।

शहीद हरि सिंह के पिता भी सेना में थे, जिनका देहांत हो चुका है। घर में उनकी मां, पत्नी और एक 10 महीने का बेटा है। तीन बहनों का इकलौता भाई था हरिसिंह, जो आज सबको रोत-बिलखते छोड़कर चला गया। गांव की सूनी सड़कें और गलियां गवाह हैं कि गांव के लोगों को सपूत के खोने का कितना सदमा पहुंचा है। हर कोई सरकार से यही कह रहा है कि बस अब और नहीं।

हरि सिंह ने नवंबर में लश्कर के दो आतंकियों को पकड़ने में अहम भूमिका निभाया था, जिसके लिए उन्हें सम्मान भी दिया गया था। हरि सिंह दिसंबर में ही एक महीने की छुट्टी के बाद कश्मीर गए थे, लेकिन क्या मालूम था कि अब वो तिरंगे में लिपटकर ही गांव लौटेंगे। जिन गलियों ने कभी हरि सिंह का बचपन देखा था आज वो गलिय़ां ही शहीदे के जनाजे की गवाह बन गईं।