पीएम मोदी ने इस नेता को कहा गद्दार, राहुल ने कहा जनता के साथ किया ये धोखा

आर्टिकल 35A को खत्म करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने वाले बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय का बोलना है आर्टिकल 35A केवल भारतीय संविधान ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता के साथ भी सबसे बड़ा धोखा है

उनका बोलना है कि आर्टिकल 35A को संविधान संशोधन के लिए आर्टिकल 368 में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करके नहीं जोड़ा गया बल्कि इसे सरकार द्वारा गैरकानूनी ढंग से बनाया गया था संविधान में संशोधन का अधिकार केवल संसद के पास है आर्टिकल 35A न केवल आर्टिकल 368 में निर्धारित संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है बल्कि हिंदुस्तान के संविधान की मूल संरचना के भी विरूद्ध है

संविधान में कोई भी आर्टिकल जोड़ना या घटाना केवल संसद द्वारा अनुच्छेद 368 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही किया जा सकता है जबकि आर्टिकल 35A को संसद के समक्ष आज तक कभी प्रस्तुत ही नहीं किया गया

इससे स्पष्‍ट है कि तत्कालीन राष्ट्रपति ने सरकार के दबाव में आर्टिकल 35A को जोड़ने के अपने आदेश में संसद को नजरअंदाज कर दिया था इससे यह भी है स्पष्‍ट है कि आर्टिकल 368 के तहत संसद की संविधान संशोधन कि शक्ति आर्टिकल 35A के मुद्दे में निरस्त कर दी गई थी दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि संविधान संशोधन संसद की बगैर सहमति के ही किया गया

वर्गीकरण आर्टिकल 14 का उल्लंघन है आर्टिकल 35A
उपाध्याय ने अपनी याचिका में दलील दिया है कि आर्टिकल 35A द्वारा जन्म के आधार पर किया गया वर्गीकरण आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है  यह कानून के समक्ष समानता  संविधान की मूल संरचना के विरूद्ध है

आर्टिकल 35A के अनुसार गैर-निवासी नागरिकों के पास जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों के समान अधिकार    विशेषाधिकार नहीं होने कि सम्भावना है आर्टिकल 35A एक महिला की उसकी मर्जी के पुरुष के साथ विवाह करने के बाद उसके बच्चों को जायजाद में हक़ न देकर उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है

अगर कोई महिला किसी ऐसे किसी पुरुष से विवाह करती है, जिसके पास पास कश्मीर का स्थायी निवास प्रमाण लेटर न हो ऐसी स्थिति में उसके बच्चों को न तो स्थायी निवास प्रमाण लेटर मिलता है  न ही जायजाद में भाग मिलता है उन्हें जायजाद में भाग पाने के लिए उपयुक्त नहीं समझा जाता है, भले ही महिला के पास कश्मीर की नागरिकता हो