उन्होंने बोला कि यह बिलकुल ठीक है कि रडार के विमानों की सटीक पहचान करने में बादलों का कुछ असर पड़ता है. इससे पहले केरल में सेना प्रमुख रावत ने भी बोला था कि भिन्न-भिन्न तकनीक के आधार पर कार्य करने वाले विभिन्न प्रकार के रडार हैं. कुछ रडार में बादलों के पार देखने की क्षमता होती है जबकि कुछ में नहीं होती है. कुछ रडार अपने कार्य करने के ढंग की वजह से बादलों के पार नहीं देख पाते. कभी- कभी ऐसा होने कि सम्भावना है, कभी-कभी नहीं भी हो सकता.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक साक्षात्कार में बोला था कि बालाकोट हमले के दिन मौसम आकस्मित बेकार हो गया था. ऐसे में सब लोग सोच में पड़ गए थे कि इन दशा में क्या किया जाए. कुछ विशेषज्ञों ने हमले की तारीख बदलने की राय दी थी. पीएम ने बोला कि उन्होंने सोचा कि आसमान में इतने घने बादल हैं तो इसका एक लाभ यह है कि हमारे विमान पाकिस्तानी रडार से बच सकते हैं व हमें इसका लाभ भी मिल सकता है. इसके बाद उन्होंने इस दशा में आगे बढ़ने को बोला था.