पाकिस्तान भागकर पछता रहे हैं यहाँ के राजा, जानिए उनके वंशज की हुई ऐसी हालत

जब बंटवारे के बाद जब 500 से ज्यादा रियासतों का विलय कर रहे थे तब जूनागढ़ के नवाब पाक में विलय के आमादा था लेकिन उनके प्रदेश में हिंदू आबादी ज्यादा थी, जो चाहती थी कि जूनागढ़ का विलय हिंदुस्तान में हो
जूनागढ़ के नवाब ने कई चालें चलीं हर चाल उलटी पड़ी   बाद में वो जिन्ना से एक समझौता करके पाक भाग गया हालांकि कुछ ही वर्षों बाद पाक में उसकी स्थिति बेकार हो गई   अब उसके वंशज वहां बेकार दशा में रह रहे हैं

जूनागढ़ के इन नवाब का नाम था नवाब मोहम्मत महाबत खानजी तृतीय रसूल खानजी पाक में अब नवाब के परिवारवालों को गुजारे के लिए महीने का जो पैसा मिलता है, वो चपरासी के वेतन से भी कम होता है

हालांकि नवाब के परिवार के लोग पाकिस्तानी मीडिया में ये बताने की प्रयास करते हैं कि पाक के लिए उन्होंने कितनी बड़ी कुर्बानी दी लेकिन इस मुल्क ने उन्हें हाशिए पर फेंक दियाहालांकि वो अब भी जूनागढ़ के हिंदुस्तान में विलय के मुद्दे को विवादास्पद बनाने की प्रयास में लगे रहते हैं लेकिन अब किसी की दिलचस्पी इसमें बची नहीं है

लाचार नवाब के बेटे ने क्या कहा
पाक के कराची शहर में नवाब महाबत खान के जो तीसरे वंशज रह रहे हैं, उनका नाम है नवाब मुहम्मद जहांगीर खान कुछ समय पहले उन्होंने पाक में बोला कि अगर उन्हें पता होता कि पाक जाने के बाद उनका मान सम्मान समाप्त हो जाएगा तो वे कभी हिंदुस्तान छा़ेड़कर नहीं आते

पाकिस्तान से प्रकाशित एक अखबार को दिए साक्षात्कार में नवाब मुहम्मद जहांगीर ने नाराजगी जाहिर की कि आजादी के बाद बंटवारे के समय मोहम्मद अली जिन्ना के साथ हुए समझौते के तहत ही उनका परिवार पाक आया था

जूनागढ़ उस समय हैदराबाद के बाद दूसरे नंबर का सबसे धनवान प्रदेश था नवाब अपनी संपत्ति जूनागढ़ में छोड़कर पाक चले आए थे यहां तक कि उन्होंने जूनागढ़ की संपत्ति के बदले में पाक में संपत्ति भी नहीं मांगी, तब भी पाक में उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया

अब किसी गिनती में नहीं है परिवार 

अब नवाब के परिवार का हाल ये है कि मौजूदा पाक सरकार उन्हें अन्य राज परिवारों के समान न तो मान-सम्मान देती है  ना ही किसी गिनती में गिनती है खटास इस बात की भी है कि अपने जिस वजीर के उकसावे में आकर वो पाक से भागे, उस वजीर भुट्टो का परिवार पाक का मुख्य राजनीतिक परिवार बन गया

जिन्ना ने दिखाए थे सपने
जूनागढ़ में नवाब मुहम्मद महाबत खान  दीवान शाह नवाज भुट्टो की मंशा हिन्दू बहुसंख्यक आबादी के बावजूद पाक में विलय की थी मोहम्मद अली जिन्ना ने उन्हें पाक में विलय के लिए बड़े बड़े सपने दिखाए थे

जिन्ना ने वादा किया  फिर भूल गए
जिन्ना पेपर्स के अनुसार जूनागढ़ के दीवान  जुल्फिकार अली भुट्टो के पिता शाह नवाज ने पाक के पीएम लियाकत अली खान को 19 अगस्त को लेटर लिखा, हम जूनागढ़ के पाक में मिलाए जाने के लिए औपचारिक स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं खुशी होगी कि अगर आप इसे जल्दी से जल्दी अमलीजामा पहना सकें (पृष्ठ 548) इस मुद्दे में देरी होते देख उन्होंने चार सितंबर को जिन्ना को फिर दिल्ली में उनके वादे को याद दिलाते हुए लेटर लिखा कि पाक नहीं चाहेगा कि जूनागढ़ उससे छिटके

पाक ने कर दी थी घोषणा
जिन्ना ने जवाब दिया, कल हम कैबिनेट बैठक में इस बारे में विचार विमर्श करेंगे तय नीति बनाएंगे पाक ने आठ सिंतबर को पाकिस्तान-जूनागढ़ समझौते की घोषणा की, जिसमें ये बोलागया था कि जूनागढ़ के शासक पाक में विलय को तैयार हैं

नेहरू ने विरोध करते हुए 12 सितंबर को लियाकत अली खान को लेटर लिखा उन्होंने बोला कि चूंकि जूनागढ़ की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू है इस बारे में रायशुमारी में उनकी राय नहीं ली गई लिहाजा ये मुद्दा जूनागढ़ के लोगों की सहमति के बगैर नहीं उठाया जा सकता हिंदुस्तान सरकार जूनागढ़ के पाक में विलय को सहमति नहीं देगी विलय का कोई संवैधानिक आधार नहीं बनता ये मुद्दा जूनागढ़  हिंदुस्तान के बीच बनता है

तब भारतीय फौजें तुरंत जूनागढ़ पहुंचीं
इसके बाद भी 15 सितंबर 1947 को जूनागढ़ ने पाक के साथ विलय को औपचारिक तौर पर स्वीकार कर लिया   इसके बाद भारतीय फौजों की वहां रवानगी प्रारम्भ हुई भुट्टो की समझ में आ गया कि खतरा है उन्होंने 16 सितंबर को लियाकत से मदद मांगते हुए कहा, कम से कम हमें ये तो बताइए कि आप हमें किस तरह की मदद दे रहे हैं हमें किस तरह से कार्रवाई करनी चाहिए

माउंटबेटन का जवाब 
एचवी हडसन की किताब ‘द ग्रेट डिवाइड’ के अनुसार, गर्वनर जनरल माउंटबेटन ने किंग को रिपोर्ट दी उन्होंने लिखा, जूनागढ़ के मुद्दे पर विचार के लिए शाम को एक कैबिनेट बैठक में विचार किया जाएगा हालांकि सैन्य कार्रवाई ही एकमात्र जवाब है जिन्ना ने भारतीय फौजों की हलचल की शिकायत माउंटबेटन से की माउंटबेटन ने जो जवाब दिया, उसका सार यही था कि पाकजो कर रहा है, वो हिंदुस्तान सरकार के साथ उसके समझौते का उल्लंघन है

जूनागढ़ की जनता की राय
जूनागढ़ की 80 आबादी के इस विलय पर जो रायशुमारी हुई थी, उसमें 80 प्रतिशत जनता हिंदुस्तान के साथ जाने को तैयार थी पाक निरुत्तर हो गया 25 सितंबर को जूनागढ़ मुक्त करा लिया गया पुस्तक “सरदार लेटर्स” के अनुसार, बंबई में उस दिन स्वतंत्र जूनागढ़ की अस्थाई सरकार गठित की गई वीपी मेनन की पुस्तक “इंटीग्रेशन आफ इंडिया इनस्टेड” के अनुसार, दशा दबाव के आगे भुट्टो टूटते जा रहे थे पाक की ओर से कोई खास पहल होती नहीं दिख रही थी

09 नवंबर को भारतीय फौजों का कब्जा
09 नवंबर को भारतीय फौजें जूनागढ़ में प्रवेश कर गईं  उन्हें जूनागढ़ पर अतिक्रमण कर लिया इस तरह जूनागढ़ आजाद हो गया हालांकि, पुख्ता मुहर 20 फरवरी 1948 को लगी, जब वहां हिंदुस्तान सरकार ने जनमत संग्रह कराया कुल 2,01, 457 वोटरों में 1,90,870 ने वोट डाले पाक के पक्ष में केवल 91 वोट पड़े