भारत के समक्ष प्रत्यक्ष खतरे को लेकर हम हमेशा बहुत स्पष्ट रहे हैं। चाहे वह कश्मीर ही क्यों ना हो, हम सुरक्षा परिषद में भारत के प्रबल समर्थक रहे हैं। हमने चीन को किसी भी तरह का प्रक्रियात्मक खेल खेलने नहीं दिया।
फ्रांसीसी नौसेना के ताईवान जलडमरूमध्य में गश्त करने वाली एक मात्र यूरोपीय नौसेना होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह उकसावे के तौर पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर डालने के लिये है।
बोन ने कहा, “हमें टकराव और नहीं बढ़ना है और मैं समझता हूं कि दिल्ली के मुकाबले पेरिस से यह कहना कहीं ज्यादा आसान है, वह भी तब, जब हिमालय क्षेत्र में आपके यहां समस्या है और आपकी सीमा पाकिस्तान से लगी हो।”
जिसमें उन्होंने कहा, “चीन जब नियम तोड़ता है, तो हमें बेहद मजबूत और बेहद स्पष्ट होना होगा और हिंद महासागर में हमारी नौसेना की मौजूदगी का मकसद यही है।”
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) के आयोजित “फ्रांस और भारत : स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के साझेदार” विषय पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि फ्रांस ‘क्वाड’ – अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का समूह- के करीब है और भविष्य में उनके साथ कुछ नौसैनिक अभ्यास भी कर सकता है।
भारत और फ्रांस के रिश्ते बेहद अच्छे रहे हैं। दोनों ही देश समय-समय एक दूसरे की मदद के लिए आगे आते रहे हैं। फ्रांस में पैगम्बर के कार्टून विवाद को लेकर जब दुनिया भर के कई मुस्लिम देश फ्रांस की आलोचना कर रहे थे और अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे।
उस वक्त भी भारत की सरकार फ्रांस की सरकार के फैसले के पक्ष में खड़ी थी। ऐसे कई मौके आये हैं। जब दोनों देशों ने अंतराष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे का समर्थन का किया है। इसी कड़ी में कश्मीर मसले पर अब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बोन का बयान आया है।
फ्रांस के इस बयान से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। इमरान खान की सरकार अंतराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मसले को लेकर भारत को घेरने का प्लान बना रही है। ऐसे में फ्रांस की तरफ से इस तरह का बयान आना पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरने जैसा है। यही वजह है कि पाकिस्तान बौखला उठा है।
कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगा है। फ्रांस ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने गुरुवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर भारत का फ्रांस समर्थन करता रहा है और उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन को कोई “प्रक्रियागत खेल” खेलने नहीं दिया।