पाकिस्तान की उड़ी रातो की नींद, सरहद पार होने वाला है…

इस विद्रोह की शुरुआत खुद सिंध के आईजी ने की। उन्होंने सेना की मनमानी के खिलाफ सामूहिक अवकाश का ऐलान कर दिया। इसके साथ निचले तबके के अधिकारियों से लेकर ऊपरी तबके के पुलिस अधिकारियों में छुट्टी पर जाने की होड़ लग गई।

 

 

इन सभी ने छुट्टी के एक जैसे आवेदन सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सामूहिक बगावत के खुले संकेत दे दिए। इसने बावजा के होश फाख्ता कर दिए।

जिस वक्त नवाज़ सेना पर धड़ाधड़ आरोप लगा रहे थे, उस वक्त उन्हें सुनने वाली हजारों की भीड़ उनके जोश और जज्बे पर तालियां बजा रही थी। नवाज़ लंदन में हैं, मगर उनकी बेटी और पीएमएल नवाज़ की उपाध्यक्ष मरियम नवाज देश में रहते हुए सेना को आंखें दिखा रही हैं।

गिलगित-बाल्टिस्तान को अलग प्रांत का दर्जा देने के फैसले को लेकर मरियम ने यहां तक कह दिया कि इस पर फैसला संसद में होगा, न कि सेना मुख्यालय में। इससे पहले सिंध प्रांत की पुलिस भी आर्मी के खिलाफ बगावत के संकेत दे चुकी है। सिंध में सेना के खिलाफ इतिहास के सबसे बड़े विद्रोह की आहट ने पाकिस्तान आर्मी के हेडक्वॉर्टर को हिलाकर रख दिया।

नवाज़ इकलौते प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं हैं, जिन्हें पाकिस्तान से निष्कासन का सामना करना पड़ा हो। पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा से लेकर पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ, पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो, आसिफ अली ज़रदारी समेत ऐसे कई नाम रहे हैं, जिन्हें देश निकाला और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। तब भी इनमें से किसी ने भी ऐसी हिमाकत नहीं की।

लंदन में इलाज करा रहे नवाज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह कहते हुए सेना को खुली चुनौती दी कि उनका मुकाबला इमरान खान से नहीं, बल्कि उन्हें सत्ता में बिठाने वाले लोगों से है।

उन्होंने सेना को सरकारी सिस्टम से दूर रहने और दखलंदाजी न करने की चेतावनी भी दे डाली। पाकिस्तान में सेना की दखलंदाजी का सच किसी से छिपा नहीं है। बावजूद इसके एक पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के संस्थापक का खुलेआम ऐसा कहना, बेहद चौंकाता है और साथ ही कई संकेत भी देता है।

पाकिस्तान में क्या कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो आज तक कभी नहीं हुआ? क्या अपने वजूद के दिन से ही ट्रिपल ‘ए’ (आर्मी, अल्लाह, अमेरिका) पर टिके पाकिस्तान की नींव के पहले ‘ए’ यानी आर्मी की बादशाहत के दिन पूरे हो चुके हैं? क्या जनरल कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान के गद्दाफी साबित होने वाले हैं? क्या उन्हें भी लीबिया के तानाशाह रहे कर्नल गद्दाफी की तरह जबरिया सत्ता से बेदखल किया जाएगा?

ये सवाल ऐसे ही नहीं उठ रहे। इसके पीछे कुछ अहम घटनाएं हैं। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं अमूमन देखी या सुनी नहीं जातीं। इनसे आर्मी के खिलाफ खुली बगावत की बू आ रही है।

इसकी शुरुआत पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने की। उन्होंने वह काम किया, जो पहले मुख्यधारा के किसी पाकिस्तानी नेता ने सोचा भी न होगा। उन्होंने विपक्ष की एक रैली में सेना पर जमकर हमला बोला।