सभी छह आरोपियों, जिनपर पहलू खान को पीट-पीटकर मारने का आरोप है, उन्हें बुधवार को राजस्थान के अलवर जिले की एक निचली न्यायालय ने बरी कर दिया। अलावा जिला न्यायाधीश-1 ने पाया कि मुद्दे में आरोप को लेकर एक हद तक पर्याप्त शक है व इसलिए न्यायालय ने अभियुक्त को शक का फायदा दिया।
पहलू खान के एडवोकेट अख्तर हुसैन ने न्यूज 18 को बताया, ‘इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, सभी ने इसे देखा। आप अभी भी औनलाइन जाकर इसे देख सकते हैं। हालांकि, न्यायालय ने वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं करने का निर्णय किया। ‘
उन्होंने कहा, ‘इसे न्यायालय में बतौर सबूत पेश करने के लिए, पुलिस को एक फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) प्रमाण लेटर जमा करना था। वे समय पर ऐसा नहीं कर सके। मैं यकीन नहीं कर सकता कि उनके पास एक वीडियो की जांचने के लिए दो वर्ष थे व वे ऐसा नहीं कर सके। पुलिस व जांचकर्ताओं ने पहलू खान के मुद्दे को निर्बल होने दिया। ‘
हालांकि, हुसैन ने तर्क दिया कि न्यायाधीश अभी भी वीडियो को स्वीकार कर सकते थे। पहलू खान लिंचिंग मुद्दे में कुल 44 गवाहों की जाँच की गई। उन 44 में से एक रविंदर दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल था, जो वहां से गुजर रहा था। न्यायालय में अपने बयान में रविंदर ने वीडियो बनाने की बात स्वीकार की थी।
हुसैन ने आगे बताया, ‘रविंदर जब गुजर रहा था तब उसने भीड़ को पिहलू खान को पीटते हुए देखा। वो वीडियो बनाने के लिए रुक गया। वो स्वीकार कर चुका है कि उसी ने वीडियो बनाया था। उसकी गवाही इस बात को साबित करती है कि वीडियो प्रामाणिक था। मैं न्यायालय के ऊपर सवाल उठाने वाला कोई नहीं होता हूं, लेकिन हमें उम्मीद है कि वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार कर लिए जाने की संभावनाएं बची हुई हैं।
हालांकि, बचाव पक्ष ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष समय पर वीडियो को एफएसएल को भेजने में विफल रहा। हरियाणा के नूंह के रहने वाले 55 वर्ष के पहलू खान, रमजान के दौरान अपने दुग्ध व्यापार को बढ़ाने के मकसद मवेशी खरीदने गांव से निकले थे। 1 अप्रैल, 2017 को दिल्ली-अलवर राजमार्ग पर कथित गोरक्षकों ने उन्हें घेर लिया। पहलू खान ने अपनी खरीद रसीदें दिखाकर खुद को बचाने की प्रयास की, लेकिन रॉड व लाठी से पीट-पीटकर उन्हें मार दिया गया।
न्यायालय ने जिन छह आरोपियों को छोड़ा है, उनमें विपिन यादव, रवींद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार व भीम राठी हैं। तीन नाबालिगों को भी अभियुक्त बनाया गया था व वे एक किशोर न्याय बोर्ड द्वारा एक अलग पूछताछ का सामना कर रहे हैं।
इस मॉब लिंचिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर खूब हंगामा हुआ। संसार भर के लोगों ने उस खौफनाक वीडियो को देखा। उस वीडियो में सफेद सलवार कुर्ता पहने पहलू खान को हाईवे पर घसीटते हुए देखा गया था। लोगों का एक झुंड उसे बेरहमी से पीट रहा था। घटना के तुरंत बाद खान की अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। दो वर्ष बाद, वो वीडियो, जो इस मुद्दे में एक खास सबूत था, लेकिन इस सबूत को न्यायालय में पर्याप्त नहीं माना गया।
सभी छह आरोपियों, जिनपर पहलू खान को पीट-पीटकर मारने का आरोप है, उन्हें बुधवार को राजस्थान के अलवर जिले की एक निचली न्यायालय ने बरी कर दिया। अलावा जिला न्यायाधीश-1 ने पाया कि मुद्दे में आरोप को लेकर एक हद तक पर्याप्त शक है व इसलिए न्यायालय ने अभियुक्त को शक का फायदा दिया।
पहलू खान के एडवोकेट अख्तर हुसैन ने न्यूज 18 को बताया, ‘इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, सभी ने इसे देखा। आप अभी भी औनलाइन जाकर इसे देख सकते हैं। हालांकि, न्यायालय ने वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं करने का निर्णय किया। ‘
उन्होंने कहा, ‘इसे न्यायालय में बतौर सबूत पेश करने के लिए, पुलिस को एक फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) प्रमाण लेटर जमा करना था। वे समय पर ऐसा नहीं कर सके। मैं यकीन नहीं कर सकता कि उनके पास एक वीडियो की जांचने के लिए दो वर्ष थे व वे ऐसा नहीं कर सके। पुलिस व जांचकर्ताओं ने पहलू खान के मुद्दे को निर्बल होने दिया। ‘
हालांकि, हुसैन ने तर्क दिया कि न्यायाधीश अभी भी वीडियो को स्वीकार कर सकते थे। पहलू खान लिंचिंग मुद्दे में कुल 44 गवाहों की जाँच की गई। उन 44 में से एक रविंदर दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल था, जो वहां से गुजर रहा था। न्यायालय में अपने बयान में रविंदर ने वीडियो बनाने की बात स्वीकार की थी।
हुसैन ने आगे बताया, ‘रविंदर जब गुजर रहा था तब उसने भीड़ को पिहलू खान को पीटते हुए देखा। वो वीडियो बनाने के लिए रुक गया। वो स्वीकार कर चुका है कि उसी ने वीडियो बनाया था। उसकी गवाही इस बात को साबित करती है कि वीडियो प्रामाणिक था। मैं न्यायालय के ऊपर सवाल उठाने वाला कोई नहीं होता हूं, लेकिन हमें उम्मीद है कि वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार कर लिए जाने की संभावनाएं बची हुई हैं।
हालांकि, बचाव पक्ष ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष समय पर वीडियो को एफएसएल को भेजने में विफल रहा। हरियाणा के नूंह के रहने वाले 55 वर्ष के पहलू खान, रमजान के दौरान अपने दुग्ध व्यापार को बढ़ाने के मकसद मवेशी खरीदने गांव से निकले थे। 1 अप्रैल, 2017 को दिल्ली-अलवर राजमार्ग पर कथित गोरक्षकों ने उन्हें घेर लिया। पहलू खान ने अपनी खरीद रसीदें दिखाकर खुद को बचाने की प्रयास की, लेकिन रॉड व लाठी से पीट-पीटकर उन्हें मार दिया गया।
न्यायालय ने जिन छह आरोपियों को छोड़ा है, उनमें विपिन यादव, रवींद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार व भीम राठी हैं। तीन नाबालिगों को भी अभियुक्त बनाया गया था व वे एक किशोर न्याय बोर्ड द्वारा एक अलग पूछताछ का सामना कर रहे हैं।
इस मॉब लिंचिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर खूब हंगामा हुआ। संसार भर के लोगों ने उस खौफनाक वीडियो को देखा। उस वीडियो में सफेद सलवार कुर्ता पहने पहलू खान को हाईवे पर घसीटते हुए देखा गया था। लोगों का एक झुंड उसे बेरहमी से पीट रहा था। घटना के तुरंत बाद खान की अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। दो वर्ष बाद, वो वीडियो, जो इस मुद्दे में एक खास सबूत था, लेकिन इस सबूत को न्यायालय में पर्याप्त नहीं माना गया।
सभी छह आरोपियों, जिनपर पहलू खान को पीट-पीटकर मारने का आरोप है, उन्हें बुधवार को राजस्थान के अलवर जिले की एक निचली न्यायालय ने बरी कर दिया। अलावा जिला न्यायाधीश-1 ने पाया कि मुद्दे में आरोप को लेकर एक हद तक पर्याप्त शक है व इसलिए न्यायालय ने अभियुक्त को शक का फायदा दिया।
पहलू खान के एडवोकेट अख्तर हुसैन ने न्यूज 18 को बताया, ‘इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, सभी ने इसे देखा। आप अभी भी औनलाइन जाकर इसे देख सकते हैं। हालांकि, न्यायालय ने वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं करने का निर्णय किया। ‘
उन्होंने कहा, ‘इसे न्यायालय में बतौर सबूत पेश करने के लिए, पुलिस को एक फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) प्रमाण लेटर जमा करना था। वे समय पर ऐसा नहीं कर सके। मैं यकीन नहीं कर सकता कि उनके पास एक वीडियो की जांचने के लिए दो वर्ष थे व वे ऐसा नहीं कर सके। पुलिस व जांचकर्ताओं ने पहलू खान के मुद्दे को निर्बल होने दिया। ‘
हालांकि, हुसैन ने तर्क दिया कि न्यायाधीश अभी भी वीडियो को स्वीकार कर सकते थे। पहलू खान लिंचिंग मुद्दे में कुल 44 गवाहों की जाँच की गई। उन 44 में से एक रविंदर दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल था, जो वहां से गुजर रहा था। न्यायालय में अपने बयान में रविंदर ने वीडियो बनाने की बात स्वीकार की थी।
हुसैन ने आगे बताया, ‘रविंदर जब गुजर रहा था तब उसने भीड़ को पिहलू खान को पीटते हुए देखा। वो वीडियो बनाने के लिए रुक गया। वो स्वीकार कर चुका है कि उसी ने वीडियो बनाया था। उसकी गवाही इस बात को साबित करती है कि वीडियो प्रामाणिक था। मैं न्यायालय के ऊपर सवाल उठाने वाला कोई नहीं होता हूं, लेकिन हमें उम्मीद है कि वीडियो को सबूत के तौर पर स्वीकार कर लिए जाने की संभावनाएं बची हुई हैं।
राजस्थान सरकार ने पिछले सप्ताह मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए एक नया कानून पारित किया। हुसैन ने बोला कि ये कानून ऐसे कई मामलों को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा जैसे कि पहलू खान के मामलों को दोहराया नहीं जाता है। उन्होंने कहा, “कानून का कोई मतलब नहीं रह जाता, जब जाँच एजेंसियां अपना कार्य अच्छा से नहीं करती हैं। उन्हें बिना किसी भय या पक्ष के कार्य करने की आवश्यकता है। ”
हालांकि, बचाव पक्ष ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष समय पर वीडियो को एफएसएल को भेजने में विफल रहा। हरियाणा के नूंह के रहने वाले 55 वर्ष के पहलू खान, रमजान के दौरान अपने दुग्ध व्यापार को बढ़ाने के मकसद मवेशी खरीदने गांव से निकले थे। 1 अप्रैल, 2017 को दिल्ली-अलवर राजमार्ग पर कथित गोरक्षकों ने उन्हें घेर लिया। पहलू खान ने अपनी खरीद रसीदें दिखाकर खुद को बचाने की प्रयास की, लेकिन रॉड व लाठी से पीट-पीटकर उन्हें मार दिया गया।
न्यायालय ने जिन छह आरोपियों को छोड़ा है, उनमें विपिन यादव, रवींद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार व भीम राठी हैं। तीन नाबालिगों को भी अभियुक्त बनाया गया था व वे एक किशोर न्याय बोर्ड द्वारा एक अलग पूछताछ का सामना कर रहे हैं।