नौकरी मिलने पर बुजुर्गों से किए वादे को पायलट ने इस तहर से निभाया

किसी इंसान से किसी वस्तु का वादा करना बहुत सरल है लेकिन उस वादे को निभा पाना उतना ही मुश्किल. मगर संसार में आज भी कुछ ऐसे शख्स मौजूद हैं जो वादों को निभाने से नहीं चूकते. ऐसे ही एक शख्स का नाम है विकास जयानी. वह पंजाब के सारंगपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने बुजुर्गों की दिली ख्वाहिश को पायलट बनने के बाद पूरा किया.
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पायलट बनने के बाद जयानी जब अपने गांव वापस लौटे तो उन्होंने नयी दिल्ली से अमृतसर के बीच अपने गांव के 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए हवाई यात्रा का बंदोवस्त किया. बुजुर्गों ने स्वर्ण मंदिर, वाघा सीमा  जलियांवाला बाग का दौरा किया. इन यात्रियों में 90 वर्ष की बिमला, 80 वर्ष के अमर सिंह, 78 वर्ष के राममूर्ति  कंकारी, 75 वर्ष की गिरादवारी देवी, सुर्जराम  खेमाराम  72 वर्ष के आत्माराम जगदीश, सतपाल  इंद्रा शामिल थे.

हवाई यात्रा से खुश इन बुजुर्गों में कभी सोचा भी नहीं था कि वह कभी विमान में सफर करेंगे. यात्रियों का कहना था कि विकास को पूरा विश्वास था कि एक दिन वह पायलट बनेगा. विकास के पिता महेंद्र जयानी एक बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक हैं. उन्होंने बोला कि यह यात्रा किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं थी. उन्होंने बोला कि उनका बेटा हमेशा से ही बुजुर्गों की इज्जत करता रहा है यह उसका सपना था. अपने बेटे पर गर्व करते हुए उन्होंने बोला कि सभी युवाओं को उनके बेटे के नक्शेकदम पर चलना चाहिए.

बुजुर्ग यात्रियों में से एक ने बोला कि उन्होंने कभी विमान में सफर करने का सपना तक नहीं देखा था. हालांकि बहुत से लोगों ने बुजुर्गों से वादा किया था लेकिन विकास ने अपना वादा पूरा किया. राममूर्ति  कंकारी ने भी पहली बार हवाई यात्रा की थी. उन्होंने इस यात्रा को अपनी जिंदगी की बेहतरीन यात्रा बताया. इसके अतिरिक्त उन्होंने सहयात्रियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने आवश्यकता पड़ने पर उनका योगदान किया. उन्होंने बोला कि विकास ने हमारे राष्ट्र के युवाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.