भाजपा नेता व पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को देहांत हो गया। वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। नरेन्द्र मोदी सरकार में जेटली ने कई मौकों पर पार्टी को मुश्किलों से निकाला। नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में कई अहम् निर्णय लिए, किन्तु इनमें दो कड़े निर्णय थे। पहला नोटबंदी व दूसरा जीएसटी। ये दोनों निर्णयलेते समय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। जेटली को मालूम था कि नोटबंदी व GST का प्रभाव तुरंत आम आदमी पर होगा। लोगों को कुछ दिनों के लिए कठिनाई होगी। विपक्ष इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगा।
सबसे खास बात यह है कि 2014-19 तक सरकार में अरुण जेटली, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वसनीय थे। इस बीच नोटबंदी व जीएसटी को लेकर अंतिम निर्णय लेना आसान नहीं था। किन्तु अरुण जेटली ने साहस दिखाया। पहले नोटबंदी हुई व फिर GST को अंतिम रूप दिया गया। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को जैसे ही नोटबंदी की घोषणा की, देश में एक अलग माहौल बन गया। सरकार ने कठोर निर्णय लेते हुए 1000 व 500 रु। की करेंसी को बैन कर दिया था। नोटबंदी के पीछे ब्लैक मनी पर रोक व नकली करेंसी का खेल समाप्त करना था। कहते हैं कि नोटबंदी का रोडमैप तैयार करने में वित्त मंत्री अरुण जेटली की बड़ी किरदार थी।
एक तरह नोटबंदी से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं, दूसरी तरह विपक्ष नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरने में लगा हुआ था। आरंभ में लोगों को नोट बदलने में समस्या भी आ रही थीं। क्योंकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के अच्छा बाद ATM के बाहर लंबी-लंबी कतारें नजर आने लगी थीं। नोटबंदी के बाद कांग्रेस पार्टी सहित पूरा विपक्ष हमलावर हो गया तो फिर एक बार अरुण जेटली नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ ही ब्लॉग के जरिए विरोधियों को करारा जवाब दिया।नोटबंदी निर्णय का बचाव करते हुए जेटली ने बोला कि इसका उद्देश्य नकदी को जब्त करना नहीं था, बल्कि उसे बैंकों के रास्ते औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना था।