नोटबंदी के बाद मार्केट में आए नए नोट चलन से होने लगे बाहर

नोटबंदी के बाद मार्केट में आए नए नोट दो वर्ष बाद ही चलन से बाहर होने लगे हैं. आलम यह है कि 2,000  500 रुपये के नए नोटों के साथ इसी वर्ष जनवरी में जारी इंडियन रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर वाले चॉकलेटी ब्राउन रंग के 10 रुपये के नोट पर भी यह खतरा मंडराने लगा है. इसी के मद्देनजर वाणिज्यिक बैंकों ने इन नोटों को जारी नहीं करने योग्य (नॉन इश्यूबल) की श्रेणी में डालकर चलन से बाहर करना प्रारम्भ कर दिया है

एक अग्रणी सरकारी बैंक के वरिष्ठ ऑफिसर ने अमर उजाला को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर के हस्ताक्षर से जारी हुए नए नोटों के कागज की गुणवत्ता पहले के नोटों के मुकाबले बेकार है. इसलिए नए नोट जल्द बेकार हो रहे हैं. एक बार नोट बेकार हो जाने पर इन्हें एटीएम में नहीं डाला जा सकता है क्योंकि एटीएम का सेंसर बेकार नोटों की गणना में गड़बड़ी कर देता है. ऑफिसर का कहना है कि आमतौर पर नए नोटों को दो बार से ज्यादा एटीएम में नहीं डाला जा रहा है.

नॉन इश्यूबल घोषित करने पर थी पाबंदी
एक अन्य बैंक के ऑफिसर ने बताया कि नोटबंदी के बाद जारी हुए नए नोटों को नॉन इश्यूबल घोषित करने पर पाबंदी लगी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस विषय में स्पष्ट हिदायत दे रखा था कि गवर्नर के हस्ताक्षर से जारी नए नोटों को किसी भी सूरत में नॉन इश्यूबल घोषित नहीं किया जा सकता है. लेकिन, बैंकों के दबाव बढऩे के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई, 2018 में स्पष्टीकरण जारी करते हुए ऐसे नोटों को नॉन इश्यूबल करने की अनुमति दे दी.जल्द बेकार हो रहे 10 रुपये के नए नोट
बैंक ऑफिसर का कहना है कि 2,000  500 रुपये के नए नोट कम बेकार हो रहे हैं क्योंकि इनका प्रयोग 10 रुपये के नोटों की तरह नहीं होता है. 10 रुपये के नए नोट दिन भर में ही 10 से ज्यादा हाथों से होकर गुजरते हैं, इसलिए ये जल्द बेकार हो जाते हैं. दशा यह है कि जनवरी, 2018 में मार्केट में आए 10 रुपये के नए नोट अभी से ही नॉन इश्यूबल की श्रेणी में आने लगे हैं, जबकि 10 रुपये के पुराने नोट अभी भी बेहतर स्थिति में हैं.

कागज की गुणवत्ता से समझौता नहीं
वित्त मंत्रालय में बैंकिंग डिविजन के एक वरिष्ठ ऑफिसर का कहना है कि नए नोटों के कागज की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया गया है. यहां तक कि पुराने नोटों को मुकाबले नए नोटों में सुरक्षा संबंधी ज्यादा फीचर डाले गए हैं ताकि नकली नोटों की छपाई न हो सके. नए नोटों के जल्द बेकार होने के सवाल पर उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान में ज्यादातर लोग नोटों को मोड़कर रखते हैं या साड़ी-धोती के किनारे से बांधकर. इसी कारण नोट जल्द बेकार हो जाते हैं.क्या हैं नॉन इश्यूबल नोट
वाणिज्यिक बैंक वैसे नोटों को नॉन इश्यूबल घोषित करते हैं, जिन्हें न तो एटीएम में डाला जा सकता है  न ही आम लोग स्वीकार करते हैं. गंदे, मटमैले  कटे-फटे नोट जो नॉन इश्यूबल घोषित हो जाते हैं, उन्हें वाणिज्यिक बैंक जमाकर भारतीय रिजर्व बैंक के पास भेज देते हैं.