रातो होते ही नेपाल में आई ये बड़ी आफत , भागते नजर आए लोग

एक याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि चुनाव का फैसला लेने से पहले वैकल्पिक सरकार के गठन का रास्ता तलाशा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा को अचानक भंग करके वैकल्पिक सरकार के गठन की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने ओली के फैसले के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया मगर शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश राणा ने इस महत्वपूर्ण मामले को संविधान पीठ को सौंपने का आदेश दिया। संविधान पीठ शुक्रवार से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगी।

संसद भंग करने के प्रधानमंत्री ओली के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 12 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र एसजेबी राणा सभी याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजने का आदेश दिया। संविधान पीठ में पांच जज शामिल होंगे। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश राणा खुद करेंगे तथा चार अन्य न्यायाधीशों का चयन भी वही करेंगे।

इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों ने दलील पेश की कि पीएम ओली के पास संसद को भंग करने का कोई अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक सरकार के गठन की संभावना रहने पर संसद को भंग नहीं किया जा सकता।

पुष्प कमल दहल प्रचंड के गुट ने ओली को संसदीय दल के नेता के पद से हटाकर प्रचंड को संसदीय दल का नया नेता चुन लिया है। सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष और संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद प्रचंड ज्यादा प्रभावी हो गए हैं क्योंकि उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के ज्यादा सदस्यों का समर्थन हासिल है।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर सभी याचिकाओं का निपटारा संविधान पीठ करेगी।

इस बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए प्रचंड और ओली गुटों के बीच संघर्ष और तेज हो गया है। दोनों गुटों के बीच संघर्ष से तेज होने के साथ ही नेपाल का सियासी संकट और गहराता जा रहा है।