नेपाल ने चीन को दिया ये करारा जवाब , अब जानिए आगे का हाल

नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश के सर्वेक्षण विभाग के आधिकारिक रिकॉर्ड में पाया गया है कि उक्त इमारतें नेपाली क्षेत्र में स्थित नहीं हैं।

दरअसल, पिछले हफ्ते स्‍थानीय मीडिया रिपो‌र्टों में कहा गया था कि चीन ने तिब्बत से लगे हुमला जिले में नेपाली जमीन पर कथित रूप से नौ इमारतों का निर्माण कर लिया है। इन इमारतों के हुमला जिले के लंपचा बागर इलाके में बनाए जाने का दावा किया गया था। इन रिपोर्टों के सामने आने के बाद नेपाल के लोगों में चीन को लेकर आक्रोश पैदा हो गया था।

नेपाल के हुमला जिले में चीन द्वारा कथित रूप से इमारतों का निर्माण पर नेपाल में चीनी दूतावास ने अतिक्रमण संबंधी रिपोर्टों का खंडन किया। उसने कहा कि इमारतें चीन की सीमा के अंदर बनाई गई हैं।

चीन और नेपाल के बीच कोई भौगोलिक विवाद नहीं है। वहीं, नेपाल के विदेश मंत्री ने भी सफाई देते हुए कहा है कि उनके देश का चीन के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है और न ही चीन ने उनके देश की जमीन पर कब्जा किया है।

नेपाल में जारी इस प्रदर्शन पर चीन का कहना है कि उसने अपनी जमीन पर निर्माण कार्य किया है। जिस जमीन पर उसने इमारतें बनाई है वह जमीन नेपाल की नहीं उसकी है। अब पूरे मामले पर नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

उनकी बोलती बंद हो गई है। एक तरफ जहां नेपाल की जनता चीन के खिलाफ सड़कों पर उतरी है वहीं प्रधानमंत्री ओली की छवि भी धूमिल हो रही है। लोग पीएम ओली पर नेपाल की जमीन चीन के हाथों बेचने का आरोप लगा रहे हैं। केपी शर्मा ओली पर इस्तीफे का दवाब बढ़ गया है।

दोस्त बनकर पीठ में खंजर घोंपना चीन की फिदरत है और अब चीन के नेपाल के प्रधानमंत्री के शर्मा ओली की पीठ में खंजर घोंप दिया है। चीन ने नेपाल की जमीन पर अवैध कब्जा कर 11 इमारतें बना ली है। चीन की इस हरकत के खिलाफ पूरे नेपाल में प्रदर्शन हो रहा है। लोग चीन और पीएम ओली के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।