निर्वहन में लापरवाही के आरोपों में CBI निदेशक के पद से, आलोक वर्मा को गंवानी पड़ी कुर्सी

उच्चतम कोर्ट द्वारा बहाल किये जाने के मात्र दो दिन बाद आलोक वर्मा को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने गुरुवार को एक मैराथन मीटिंग के बाद एक अभूतपूर्व कदम के तहत करप्शन  कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों में CBI निदेशक के पद से हटा दिया.  CBI के 55 सालों के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले जांच एजेंसी के वह पहले प्रमुख हैं. उच्चस्तरीय समिति में पीएम मोदी, लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे  न्यायमूर्ति एके सीकरी हैं.

वाली सिलेक्शन कमिटी ने वर्मा को हटाया.

ये है वह 6 कारण: 

1.मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के विरूद्ध जांच प्रभावित की. कारोबारी सतीश बाबू सना को आरोपी बनाने की मंजूरी नहीं दी.

2. सीवीसी को दो करोड़ रुपये घूस लेने के भी प्रमाण मिले हैं.

3. रॉ द्वारा पकड़े गए एक फोन कॉल में घूस लेने का जिक्र था.

4. गुरुग्राम में जमीन खरीद में आलोक वर्मा का नाम आया. जिसमें 36 करोड़ का लेनदेन हुआ है.

5. लालू से जुड़े आईआरटसीटीसी केस में अधिकारी को बचाने के लिए उसका नाम एफआईआर में शामिल नहीं किया.

6. आलोक वर्मा दागी अफसरों को CBI लाने की प्रयास कर रहे थे.

गुरुवार को जारी हुए सरकारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आईपीएस ऑफिसर को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा  होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है. CBI निदेशक का प्रभार फिल्हाल अलावा निदेशक एम नागेश्वर राव के पास है. CBI निदेशक की जिम्मेदारी अलावा निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंप दी गई है.