देश-विदेश में कालबेलिया डांस से राष्ट्र का नाम रोशन करने वाली डांसर गुलाबो सपेरा अब जल्द राजस्थान के पुष्कर में एक ऐसा इंस्टीट्यूट खोलने जा रही हैं, जहां सांपों का जहर निकालना सिखाया जाएगा। इसके अतिरिक्त गुलाबो सपेरा संगीत संस्थान वह कालबेलिया नृत्य सिखाएंगी। हैन्डीक्राफ्ट, कांच का कार्य भी यहां पर सिखाया जाएगा। गुलाबो कहती हैं कि उनका ये बहुत पुराना सपना था, जो अब पूरा हो रहा है।
यहां पर बताया जाएगा कि सांपों को कैसे पकड़ा जाता है। उनका जहर कैसे निकाला जाता है। जहर से काजल बनाया जाता है। इस इंस्टीट्यूट में गुलाबो स्टूडेंट्स को ये भी सिखाएंगीं कि अगर किसी को सांप काट ले तो कैसे मंत्र से जहर बॉडी से निकाला जाता है। गुलाबो का मानना है कि उनके ना रहने के बाद भी कालबेलिया व उनसे जुड़ी दूसरी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ी तक पहुंचें।
आपको बता दें कि गुलाबो को उनके घर वालों ने जमीन में गाड़ दिया था, लेकिन नियति ने उन्हें नयी जिंदगी दी व आज गुलाबो ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है। गुलाबो बताती हैं कि वो अजमेर जिले की रहने वाली हैं लेकिन उनको पहचान मिली थी पुष्कर मेले से। इसीलिए वो पुष्कर में ही ये खास इंस्टीट्यूट खोलकर अपनी कर्मभूमि के लिए कुछ करना चाहती हैं।
गुलाबो बताती हैं कि ‘कालबेलिया समाज के लोग सपेरे होते हैं। बीन पर सांप को नचाकर पेट पालते हैं। उनके पापा भी यही कार्य करते थे। छोटी सी आयु में उनके साथ मैं सांप लेकर बाहर जाने लगी, वो बीन बजाते थे व मैं सांपों को बॉडी पर लपेटकर नाचती थी। कभी-कभी सांप व मैं एक साथ नाचते थे। कई दिनों तक यह सिलसिला चला, लेकिन समाज के लोगों को पसंद नहीं आया तो मेरा बाहर निकलना बंद करवा दिया। ‘
पुष्कर मेले से मिली पहचान फिर पहुंची अमेरिका तक :
गुलाबो बताती हैं, ‘बाहर जा कर डांस करना बंद हो गया था, लेकिन फाल्गुन माह व पुष्कर मेले में घूमने व वहां डांस करने की अनुमति मिलती थी। 1981 में पुष्कर मेले से इस डांस को नयी पहचान मिली थी। ‘गुलाबो कहती हैं, ‘अजमेर में डांस करने से समाज के लोगों को बहुत ज्यादा समस्या होती थी। वे मुझे रोकना चाहते थे लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं था। फिर मैं अपने भाई के साथ अजमेर से जयपुर आ गई। यहां कई कार्यक्रमों में डांस किया, जैसलमेर में होने वाले महोत्सव मे इसे पेश किया। यहां से प्रसिद्धि मिलती गई। पहली बार कालबेलिया डांस की प्रस्तुति देने वाशिंगटन गई। वहां प्रातः काल दस बजे से शाम पांच बजे तक लगातार डांस करती रही। ‘ गुलाबो ने यह डांस कभी सीखा नहीं था, छह महीने की आयु से ही उन्होंने डांस करना प्रारम्भ कर दिया था। गुलाबो बिग-बॉस के सीजन पांच में भी भाग ले चुकी हैं।
क्या है कालबेलिया नृत्य:
कालबेलिया राजस्थान के एक समुदाय का नाम है जो संपेरे होते हैं। गुलाबो के पिता भी यही कार्य करते थे व गुलाबो उनके साथ बाहर जाती थीं. गुलाबो के पिता बीन बजाते थे व वह उस धुन पर सांपों के साथ नाचती थीं। कालबेलिया डांस सिर्फ महिलाएं करती हैं व इसमें वह सांप की तरह लहराती व बलखती हैं।
गुलाबो की जिंदगी व कालबेलिया नृत्य से जुड़ी जानने वाली बातें:
गुलाबो को पैदा होते ही मारने की प्रयास की गई व उन्हें जमीन में गाड़ दिया गया, तब उनकी मौसी ने उनकी जान बचायी। कालबेलिया डांस की आरंभ के बारे में गुलाबो बताती हैं, “मैं ऐसे समुदाय में पैदा हुई थी जहां पर लोग साप दिखाने का कार्य करते, मैं भी अपने पिता के साथ गाँव-गाँव जाकर कलबेलिया नृत्य करती थी। मैं दस वर्ष की थी जब पुष्कर मेला में डांस कर रही थी, तब वहां पर राजस्थान गवर्नमेंट के ऑफिसर तृप्ति पांडेय व हिम्मत सिंह ने मेरा नृत्य देखा, इसके बाद मुझे कई कार्यक्रमों में नृत्य करने का मौका मिला। ” धीरे-धीरे उनके कार्य को पहचान मिलने लगी व वह शो करने लगी। अपने नाम के बारे में गुलाबो बताती हैं, “मेरे पिता ने मेरा नाम गुलाबो रखा था, मेरा नाम धनवंतरी था उन्होंने मेरा नाम गुलाबो रख दिया व अब मेरी पहचान ही इसी नाम से है। ” वो आगे बताती हैं, “जिन कठिनाइयों से मेरा बचपन गुजरा था मैं नहीं चाहती किसी व के साथ भी ऐसा हो। राजस्थान में एक प्रोग्राम में ही मेरे पिता की मौत हो गयी थी, मेरे पूरे घर की जिम्मेदारी मुझपर आ गयी। ” उस समय व आज भी कई स्थान इस समाज के लोग सांपों को नचाकर अपना ज़िंदगी गुजारते हैं। गुलाबो बहुत छोटी थी जब अपने पिता के साथ सांपों को नचाने जाया करती थी। पिता सांप नचाते थे तो गुलाबो सांपों को अपने बॉडी से लपेटकर खुद नाचने लग जाती थी। गुलाबो कई बॉलीवुड व हॉलीवुड फिल्मों में कार्य कर चुकी हैं, गुलाबो ने बॉलीवुड की बंटवारा, क्षत्रिय, अजूबा फिल्म में कार्य किया है।
बिग बॉस की बनीं मेहमान
गुलाबो बताती हैं, “बिग बॉस में भी मुझे जाने का मौका मिला, लोगों ने बोला कि वहां जाकर क्या करेंगी, लेकिन बिग बॉस के जरिए लोग व भी मुझे जानने लगे, इस प्रोग्राम में भी मैंने नृत्य किया था। ”
पद्मश्री अवार्ड से भी किया गया है सम्मनित
कला व संस्कृति के एरिया में बेहतर कार्य करने व राजस्थान में कालबेलिया डांस को नयी पहचान दिलाने के लिए गुलाबो को वर्ष 2016 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। ये सम्मान इन्हें दिल्ली में आयोजित प्रोग्राम के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिया था।