नजरबंदी के बावजूद महबूबा के भड़काऊ ट्वीट्स

कश्मीर के दो पूर्व सीएम एक सप्ताह से नजरबंद हैं. महबूबा मुफ्ती हरिनिवास में हैं. जबकि, उमर अब्दुल्ला को दूसरी स्थान शिफ्ट कर दिया गया है. दोनों उसी हरिनिवास में नजरबंद थे, जहां मुख्यमंत्री रहते हुए वे अलगाववादियों को कैद रखते थे. गुलाम नबी आजाद जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हरिनिवास को मुख्यमंत्री हाउस में बदलवा दिया. लेकिन, वहां रहने नहीं गए.

वहां कई आतंकवादियों की मृत्यु हुई है, इसलिए बोला जाता है कि वह स्थान मनहूस है. उमर  महबूबा दोनों को भिन्न-भिन्न स्थान रखने के पीछे एक अलग कहानी है. सुरक्षा सूत्रों ने बोला कि हरिनिवास में उमर को टहलने की छूट दी गई थी. जबकि, महबूबा ऊपरी मंजिल पर थीं. एक दिन उमर नीचे टहल रहे थे, तभी महबूबा  उमर में झगड़ा होने लगी. दोनों कश्मीर के इन दशा के लिए एक-दूसरे को गुनाह देने लगे. कहासुनी इतना बढ़ गया कि सुरक्षाबलों को उन्हें भिन्न-भिन्न जगहों पर रखने का निर्णयकरना पड़ा.

नजरबंदी के बावजूद महबूबा के भड़काऊ ट्वीट्स जारी थे. प्रशासन के अफसरों ने उन्हें ऐसा नहीं करने को बोला तो वह भड़क गईं. उन्हें अरैस्ट करने की धमकी दी गई, तब जाकर ट्वीट्स बंद हुए. महबूबा ट्वीट कैसे कर रही थीं? छानबीन करने पर पता चला कि ये ट्वीट्स महबूबा की बेटी सना कश्मीर के बाहर से कर रही थीं. नजरबंदी में महबूबा बहुत ज्यादाअाक्रामक हैं. कहती हैं कि वह भूख हड़ताल पर हैं. लेकिन, फल खा रही हैं. उनके लिए रोज ताजे सेब  नाशपाती पहुंचाए जाते हैं. महबूबा के करीबी पीडीपी नेता वाहिद पारा, सज्जाद कर्ज़  बाकी नेता संटूर होटल में फाइव स्टार सुविधाओं में रह रहे हैं. यह तो हुई नेताओं की बात. अब बात करते हैं अवाम की. इसके लिए पहले इस वाकये को समझना होगा. दिल्ली से श्रीनगर जाने वाली फ्लाइट में सिक्योरिटी चेक चल रहा था.

बड़ी देर से एक कश्मीरी महिला स्कैनिंग मशीन से अपने फोन के बाहर आने का इंतजार करती रही. उसने वहां खड़े सीआईएसएफ जवान से पूछा ‘फोन कहां गया’? जवान ने यूं ही मजाक में कहा, आपका फोन तो कोई ले गया. महिला बोली, जाने दो. वैसे भी मैं जहां जा रही हूं, वहां इसका कोई कार्य नहीं है. घाटी में एक सप्ताह से मोबाइल, लैंडलाइन, इंटरनेट सब बंद है. हालांकि, आवश्यकता का सब सामान मिल रहा है. सुबह-शाम कश्मीरी रोटियों की दुकानें खुलती हैं. दूध से दवाई तक, सब सरल हद में है. डाउनटाउन के संवेदनशील इलाके छोड़ दें तो रास्ते आम दिनों जैसे खुले हैं. बस पाबंदी है तो भीड़ इकट्‌ठा करने की. कहीं भीड़ बढ़ती दिखी तो सुरक्षाबलों की गाड़ी आ जाती है  लोगों को हटा दिया जाता है. एयरपोर्ट पर बने स्टैंड से अधीन मोहम्मद 25 वर्षों से टैक्सी चला रहे हैं. वह कहते हैं उन्हें इल्म नहीं कि क्या हुआ है. लोगों ने बोला है कि हम कश्मीरियों के साथ नाइंसाफी हुई है. हमारे ही नेताओं ने नाइंसाफी की है.