देश में मशरूम से लोगो को मिल रहा अपनी रोजी रोटी चलाने का मौका

हिंदुस्तान में इस समय मशरूम की खेती ज्यादा प्रचलन में आई है. शहर से लेकर गांव तक मशरूम ने अनेकों लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. लोग मशरूम की खेती करके अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं. मशरूम उत्पादन को कृषि  उद्योग दोनों ही क्षेत्रों में महत्व दिया गया है  इसके साथ ही मशरूम उद्योग ने अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में भी अपना जगहबनाया है.
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देश के अतिरिक्त पूरी संसार में सभी व्यवसायों की तरह ही मशरूम का व्यवसाय भी प्रारम्भ होता है  मशरूम की मांग संसार में सदियों से रही है. आज हिंदुस्तान में लगभग 6,000 मेट्रिक टन मशरूम ही हिंदुस्तान की जनता को उपयोग के लिए मिल पाता है. जितना मशरूम हिंदुस्तान में उगाया जाता है उसमें से 60% राष्ट्र से बाहर निर्यात हो जाता है. इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान से सूखा मशरूम विदेशों में निर्यात किया जाता है. क्योंकि हिंदुस्तान से सूखा मशरूम मंगवाना विदेशियों को सस्ता पढता है.

जानकारी के अनुसार बता दें कि अब मशरूम रसोई में भी तैयार होगा  इसके लिए विशेष कमरे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र चंबाघाट, सोलन ने इसके लिए रेडी टू फ्रूट बैग तैयार किया है. 25 से 30 रुपये की मूल्य के इस बैग से लगभग 20 दिन में 800 ग्राम मशरूम का उत्पादन हो सकेगा. वहीं डॉ वीपी शर्मा निदेशक मशरूम अनुसंधान केंद्र ने बताया कि जल्द ही इसे मार्केट में उतारने की तैयारी है. बैग की एक अच्छाई यह भी है कि इसे किसी जलवायु-स्थान पर प्रयोग किया जा सकेगा. हां, पानी का छिड़काव कर नमी का ध्यान रखना होगा. इसमें पिंक ऑयस्टर  व्हाइट ऑयस्टर प्रजाति का मशरूम उत्पादित होगा.