साढ़े 17 हजार फीट की ऊंचाई वाले दर्रे वाले इस दुर्गम व लंबे रूट पर रोमांचक व सुरक्षित सेवा देने के लिए निगम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम पंजीकृत करा चुका है.एचआरटीसी के केलांग डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक मंगल चंद मनेपा ने बताया कि 20 जून से इस बस को चलाने का निर्णय लिया है.
दिल्ली से लेह तक ये है किराया
रोहतांग समेत लाहौल व जम्मू और कश्मीर की ऊंची चोटियों पर भारी बर्फबारी के चलते बीते वर्ष 15 अक्तूबर से यह बस सेवा बंद थी. पर्यटक व आम लोग अपेक्षाकृत सस्ती बस सुविधा का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं.
दिल्ली से लेह तक का एक तरफ का किराया महज 1500 रुपये है
. बर्फ से लकदक पहाड़ों से होकर गुजरने वाली इस बस में सफर का अपना ही रोमांच है
. देश-विदेश के सैलानियों को इसका खास इंतजार रहता है
.
अभी सरचू तक एक बार फिर मार्ग का निरीक्षण किया जाएगा. इस बस की औनलाइन बुकिंग नहीं होती क्योंकि इसका मनाली से लेह तक का सफर मौसम पर निर्भर करता है.
यह बस कई ऐसे दर्रों से गुजरती है, जहां का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है
. पहला दर्रा रोहतांग पड़ता है जो 13050 फीट की ऊंचाई पर है
. बारालाचा दर्रा 16020, लाचुंग दर्रा 16620
व तंगलंग दर्रा 17480 फीट की ऊंचाई पर है, जहां से बस गुजरकर लेह पहुंचती है
. इस रूट पर सिर्फ एचआरटीसी की ही बस चलती है
.
तीन चालक बदलेंगे, केलांग में रात्रि ठहराव
इस बस को दिल्ली से लेह तक पहुंचाने के लिए तीन चालक बदलने पड़ते हैं. दिल्ली से लाने वाला चालक कुल्लू में बदला जाएगा. दूसरा चालक बस को कुल्लू से केलांग लेकर जाएगा.यहां नाइट स्टे होगा.
यात्री अपने स्तर पर खाने-पीने
व सोने का प्रबंध करना होता है
. अगली
प्रातः काल तीसरा चालक बस केलांग से लेह तक पहुंचाएगा
. परिवहन निगम की बस दोपहर 2.30 बजे दिल्ली से लेह के लिए निकलेगी, जबकि लेह से यह बस दिल्ली के लिए
प्रातः काल पांच बजे रवाना होगी
.
दिल्ली से लेह का टैक्सी यूनियन का किराया करीब 45,000 रुपये है. एचआरटीसी के नाम एशिया के सबसे ऊंचे गांव किब्बर तक बस सेवा चलाने का भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मेंपंजीकृत है.