जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी राज्यों व उच्च न्यायालयों से निचली अदालतों में खाली पड़े पदों व उन रिक्तियों को भरने की चल रही प्रकिया का पूरा ब्योरा मांगा है. इसके लिए उन्होंने 31 अक्तूबर तक का समय दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 नवंबर को होगी.
बता दें कि देशभर की निचली अदालतों में उच्च न्यायिक सेवा के कुल 22,033 पद स्वीकृत हैं, जिसमें अभी भी 5,133 पद खाली हैं. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने इन खाली पड़े पदों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बोला कि इतनी बड़ी संख्या में रिक्तियां बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं.
इस दौरान सुप्रीम न्यायालय ने 4 जनवरी, 2007 के अपने उस आदेश को भी राज्यों व उच्च न्यायालयों को याद दिलाया, जिसमें राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा उच्च व निम्न न्यायिक सेवा अधिकारियों की भर्ती की प्रक्रिया के प्रत्येक चरण के लिए एक समय सीमा निर्धारित की गई थी.
इस समयसीमा के अनुसार, प्रत्येक राज्य में दो से तीन उच्च कोर्ट के न्यायाधीशों की एक समिति यह सुनिश्चित करेगी कि सभी मौजूदा व भविष्य की रिक्तियों को 31 मार्च तक अधिसूचित किया जाएगा व उसी वर्ष 31 अक्टूबर तक भर दिया जाएगा.
सीजेआई रंजन गोगोई ने पूछा कि क्या इस समयसीमा का पालन किया गया था व अगर नहीं किया गया तो बताएं कि खाली पड़े पदों को भरने के लिए बाहरी समय सीमा क्या है? न्यायालय ने बोला है कि 1 नवंबर को मामले की सुनवाई से पहले राज्यों को न्यायिक बुनियादी सुविधाओं व श्रमशक्ति (मैनपावर) की पर्याप्तता की भी जानकारी देनी होगी.
पीठ ने राज्यों व उच्च न्यायालयों से यह सुझाव देने के लिए भी बोला कि रिक्त पदों को भरने के बाद उपलब्ध बुनियादी सुविधाएं व श्रमशक्ति (मैनपावर) पर्याप्त होगी या नहीं?