दिमाग में सुसाइड के विचार आने पर हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानिए कैसे…

एक पल में खुश होना  दूसरे ही पल में दुखी होना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़‍ित आदमी के व्यवहार में तेजी से बदलाव आने लगता है.

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ऐसा व्‍यक्ति आकस्मित से तनाव में आ जाता है  उसका आत्‍मविश्‍वास एकदम से चरम पर हो जाता है. जबकि दूसरे ही पल में वह एकदम शांत हो जाता है. इस बीमारी में कई बार आदमी चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता. आमतौर पर यह बीमारी नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में पाई जाती है.

नींद की समस्‍या
यदि आपको नींद न आने की समस्‍या है तो आप बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकते हैं. ऐसे लोगों को ज्‍यादा डिप्रेशन की वजह से नींद नहीं आ पाती जिससे वह अकसर थकान महसूस करते हैं.

काम में गड़बड़ी
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्‍यक्ति किसी कार्य को अच्‍छे से नहीं कर पाता. दूसरों से बात करने में कठिनाई के कारण ऐसा होता है. जिसके कारण उनके कार्य में लगातार गड़बड़ी होती रहती है.

शराब का सेवन
बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या अधिकांश उन लोगों में पायी जाती है जो शराब और नशीली दवाओं का उपयोग डिप्रेशन से बाहर आने के लिए करते हैं. ऐसे लोग शराब के इस्‍तेमाल से डिप्रेशन से बाहर तो नहीं आ पाते, बल्कि बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं.

ऊर्जा में कमी
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्‍यक्ति का आम लक्षण होता है कि वह किसी काम को पूरा करने में असमर्थ महसूस करता है. इस रोग से ग्रस्‍त आदमी अपनी पूरी ऊर्जा कार्य में नहीं लगा पाते है, जिससे उनके किसी भी कार्य के पूरा होने में कठिनाई होती है. ऊर्जा की कमी के कारण ऐसे लोग एक समय में एक ही कार्य कर पाते हैं.

चिड़चिड़ापन
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित आदमी में पागलपन  डिप्रेशन दोनों ही एक साथ दिखाई देते है. पागलपन  डिप्रेशन होने के कारण वह अकसर चिड़चिड़े बने रहते हैं. उनका छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ा व्‍यवहार करना आम होता है. चिड़चिड़ेपन के कारण ही उनके करीबी रिश्‍ते भी बेकार हो जाते हैं.

कल्‍पना में रहना
बाइपोलर डिसऑर्डर से पी‍ड़‍ित व्‍यक्ति हमेशा अपने ख्‍यालों में खोया रहता है. वह अपने खयालों में न जाने कहां तक पहुंचा जाता है. ऐसे आदमी के दिमाग में हजारों बातें चलती रहती हैं जिन पर उनका काबू नहीं रहता.

एक ही बात को बार-बार बोलना
किसी बात को जल्दी-जल्दी कहना या एक बात को कई बार कहना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है. ऐसे व्‍यक्ति अपनी बात के आगे दूसरे की बात नहीं सुनते. वह दूसरों को बोलने का मौका नहीं देते  इनका वार्तालाप एक तरफा ज्‍यादा होता है.

बाइपोलर डिसऑर्डर पर नियंत्रण
बाइपोलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने के लिए तनाव का स्‍तर कम होना चाहिए. इसके साथ ही मरीज को भरपूर नींद के साथ ही नशीले पदार्थो के सेवन से दूर  अपने आत्‍मविश्‍वास को मजबूत रखना चाहिए. साथ ही ऐसे रोगियों की दवा, मनोवैज्ञानिक उपचार  पारिवारिक काउंसलिंग आदि जरूरी बातों का ध्‍यान रखना चाहिए.

तनाव का प्रबंधन
बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रमुख कारण तनाव है इसलिए तनाव कम से कम लें. तनाव के स्‍तर को कम करने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना महत्वपूर्ण है कि तनाव का क्‍या कारण है. कारण जानने के बाद तनाव से छुटकारा पाने की प्रयास करें. सा‍थ ही आपको अपनी भावनात्मक एवं शारीरिक रिएक्शन पर भी गौर करना चाहिए. यह समझकर समस्या को नजरअंदाज न करें कि यह खुद अच्छा हो जाएगी. ऐसा करने से स्थिति बिगड़ सकती है.