तो कुछ इस तरह की थी अनुपम खेर की ज़िन्दगी, इतने संघर्षो के बाद बने थे एक्टर

एक्टर अनुपम खेर का मानना है कि उनकी जिंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव आए. हाल ही में अपनी आत्मकथा के साथ लोगों से रूबरू हुए अनुपम को ऐसा भी लगता है कि  अगर उनकी जिंदगी पर कभी फिल्म बनी, तो उसमें मनोरंजन की जबरदस्त खुराक होगी- भरपूर ड्रामा, रोमांस, कॉमेडी, प्रेरणा  सफलता-असफलता के दौर पेश है अनुपम से एक दिलचस्प बातचीत

अट्ठाइस वर्ष की आयु में जब उन्होंने एक 65 वर्ष के बूढ़े का भूमिका निभाया था (फिल्म सारांश में), तभी  दुनिया को अपनी तरफ गौर करने के लिए विवश कर दिया था. हालांकि एक दमदार आरंभ के बाद ऐसा भी नहीं रहा कि उनकी आगे की राह एकदम सरल हो गई हो!  अब, जब फिल्म सारांश को आए भी 35 वर्ष हो चुके हैं, अनुपम अपनी नयी किताब ‘लेसन्स जीवन टॉट मी, अननोइंगली’ के साथ संसार से रूबरू हुए हैं, जो दरअसल उनकी आत्मकथा है. अपने अब तक के सफर को वह दिलचस्पी के साथ देखते हैं. वह कहते हैं,‘जो बात मुझे बाकियों से अलग करती है, वह यह है कि मुझमें अब भी जिंदगी को लेकर एक कौतूहल बाकी है. अभी जब मैं यूएसए स्थित एक बिल्डिंग की30वीं मंजिल से यह साक्षात्कार दे रहा हूं, तो मुझे अभी भी यह सोचते हुए हैरत हो रही है कि क्या मैं वही शिमला का लड़का हूं्? मैं अपनी सारी सफलताओं को इसी तरह आंकता हूं.

फिल्म सारांश को रिलीज हुए 35 वर्ष बीत चुके हैं. तब से लेकर अब तक का आपका सफर बाहरी लोगों को तो बहुत ही जबरदस्त मालूम होता है. इस पर आप क्या कहेंगे? 

मैं अभी इस पर कुछ नहीं बोलना चाहूंगा. अभी तो मेरी जिंदगी का इंटरवेल ही हुआ है. बहुत कुछ हासिल करना है, बहुत कुछ सीखना है. अभी-अभी तो मैंने यह समझना प्रारम्भ किया है कि आखिर एक्टिंग है क्या चीज! जिंदगी है क्या चीज! अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का वक्त अच्छा अभी है.

जब आपने फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ (1994) में कार्य किया था, तब से लेकर अब तक, जबकि आप ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ (2012) जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी कार्य कर चुके हैं, जिंदगी  कार्य को लेकर आपका नजरिया बड़ा धमाकेदार रहा है. आप ऐसा कैसे कर लेते हैं?

यह बिलकुल भी कठिन नहीं है. आपको बस यह तय करना होता है कि भले ही जिंदगी में कुछ भी हो जाए, मैं खुश रहूंगा कुछ महीनों के एक्सरसाइज से आप ऐसा करना सीख भी जाते हैं.इससे जिंदगी की सारी मुश्किलें पल में सुलझ जाती हैं.

आप अपने संघर्षों, मुश्किलों  उपलब्धियों को लेकर हमेशा से ही खुल कर बात करते रहे हैं. पहले जहां आप अपने नाटक ‘कुछ भी होने कि सम्भावना है’ के जरिये ऐसा करते थे, वहीं अब आप अपनी किताब के जरिये ऐसा कर रहे हैं. इस पर क्या कहेंगे?

ऐसा करने से मुझे आजादी  सुकून का एहसास होता है. आप संसार से जो कुछ छुपाते हैं, संसार उसी की आड़ लेकर आपको डराती है. पर अगर आप सच्चाई के साथ सामने आएं, तो डरने की वजह नहीं रहती. मेरे साथ जो कुछ भी हुआ, वह एक खुली किताब की तरह है. करीब 15 वर्ष पहले मेरे दिवालिया होने की नौबत आ गई थी. इसी तरह फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की शूटिंग के वक्त मुझे चेहरे पर लकवा मार गया था. ये सारी बातें लोग जानते हैं. इन्हें लेकर मेरे मन में कोई शर्मिंदगी नहीं है. आखिर मैं इन बातों को क्यों छुपाऊं?

अब जबकि आपके नाटकों के अतिरिक्त आपकी आत्मकथा भी आ गई है, तो क्या आप चाहते हैं कि आपकी जिंदगी पर कोई फिल्म बने? 

अगर ऐसी कोई फिल्म बनी, तो वह ब्लॉकबस्टर होगी. हालांकि मैंने अब तक इस बारे में सोचा नहीं है. मुझे लगता है कि एक बायोपिक को प्रेरणादायक होना चाहिए. मेरी जिंदगी में सब कुछ रहा है- ड्रामा, रोमांस, कॉमेडी, प्रेरणा, सफलताओं-असफलताओं के दौर. मैंने अपनी जिंदगी को खुलकर जिया है. अगर मेरी जिंदगी पर कोई फिल्म बनी, तो उससे लोग कई बातें सीख सकेंगे, जैसे  असफलताओं का सामना कैसे करें, डिप्रेशन का मुकाबला कैसे करें. मैं 28 वर्ष की आयु में 65 वर्ष की आयु का भूमिका निभा चुका हूं. लिहाजा, मैं अपनी जिंदगी पर बनने वाली फिल्म में अपने करियर की आरंभ से लेकर अब तक के समय तक का भूमिका खुद ही निभा सकता हूं.