तीन महीने से कई राज्यों को नहीं मिला है जीएसटी का मुआवजा

वस्तु एवं सेवा कर (GST) का पिछले तीन महीनों से मुआवजा न मिलने पर अब 7 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. पहले सिर्फ केरल ने सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी थी. इन राज्यों ने कहा है कि केंद्र सरकार अगर तत्काल बकाया राशि नहीं देती तो उनके पास कोर्ट जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा.

इन राज्यों ने दी चेतावनी

केरल, पश्चि‍म बंगाल, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पुदुच्चेरी ने कहा है कि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इन राज्यों के वित्त मंत्री पिछले हफ्ते केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले हैं और उनसे गुहार लगाई है कि अगस्त के बाद का मुआवजा उन्हें तत्काल दिया जाए. गौरतलब है कि इन राज्यों को हर महीने औसतन 7,500 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाता है.

छत्तीसगढ़ के कॉमर्श‍ियल टैक्स मिनिस्टर टीएस सिंहदेव ने हमारे सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे को बताया कि ये राज्य पहले सभी विकल्पों पर काम कर रहे हैं, लेकिन अगर कोई रास्ता नहीं बचा तो सुप्रीम कोर्ट में जाना ही पड़ेगा.

उन्होंने कहा, ‘पहले हमने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया था, लेकिन अब हम सोच रहे हैं कि पहले विकल्प आजमा लेंगे, क्योंकि ऐसा हमें सुप्रीम कोर्ट ही करने को कह सकता है.’

एक अनुमान के अनुसार सिर्फ अगस्त और सितंबर महीने के लिए ही राजस्थान का 4,400 करोड़ रुपए, पंजाब का 21,00 करोड़ रुपये, दिल्ली का 2,355 करोड़ रुपये, केरल का 1,600 करोड़ और पश्चिम बंगाल का 1,500 करोड़ रुपये का बकाया केंद्र को देना है. पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, राजस्थान और दिल्ली के वित्त मंत्री ने एक संयुक्त बयान जारी कर हाल में कहा था कि यह मुआवजा न मिलने से राज्य वित्तीय रूप से भारी दबाव में हैं और केंद्र सरकार ने इसकी कोई वजह भी नहीं बताई है. गौरतलब है कि नई दिल्ली में 17-18 दिसंबर को जीएसटी कौंसिल की बैठक होने वाली है जिसमें यह मसला गरमा सकता है.

जीएसटी कौंसिल हालात से पूरी तरह से वाकिफ है और वह अगले महीने अपनी बैठक में जीएसटी और मुआवजा सेस रेट की समीक्षा करने जा रहा है. जीएसटी कौंसिल ने यह स्वीकार किया है कि मुआवजे की मांग बढ़ती जा रही है. कौंसिल ने राज्यों और केंद्र के अधि‍कारियों की एक कमिटी बनाई है जो इस बारे में केंद्र सरकार को उपाय सुझाएगी कि जीएसटी रेवेन्यू में किस तरह से बढ़त किया जा सके.