तीन डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान घोर लापरवाही बरतने के लिए 2.7 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश

शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने तीन डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान घोर लापरवाही बरतने  कुप्रबंधन के लिए 2.7 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. इस ऑपरेशन के कारण महिला को कार्डिएक अरेस्ट हुआ  फिर उसके बाद वह कोमा में चली गई, जहां उनकी मौत हो गई. राष्ट्रीय उपभोक्ता टकराव समाधान आयोग (एनसीडीआरसी) ने बोला कि इस ऑपरेशन से पहले महिला की दिल की स्थिति का आकलन न करना डॉक्टरों की ओर से एक गंभीर चूक थी. पीठासीन सदस्य की पीठ अनूप के ठाकुर  सदस्य सी विश्वनाथ ने जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को बरकरार रखा. उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद शहर के डॉक्टर्स जुबैदाबेन देसाई, कश्यप रमेशभाई शाह  रचनाबेन जिग्नेश भाई शाह को मुस्तफाभाई इब्राहिमभाई सालार की पत्नी मेमूनाबेन सालार की मौत का दोषी मानते हुए 2.7 लाख रुपये देने के लिए बोला है.

इस शिकायत के अनुसार, सालार को 20 अक्टूबर, 2004 को अहमदाबाद के सामवेद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अगले दिन हुई सर्जरी के दौरान उन्हें  कार्डिएक अरेस्ट हुआ था, उनको दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वह 18 नवंबर, 2005 को अपनी मृत्यु तक कोमा में रही. ट्रिब्यूनल ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश को बदल दिया बोला कि जब किसी आदमी को कार्डियक अरेस्ट आता है, तो कार्डियक मसाज का प्रबंधन कर मरीज को पुनर्जीवित करना एक जरूरी पहलू है. ऑपरेशन नोट्स में कार्डियक मसाज की बात कही गई है, लेकिन इस नोट में समय का कोई उल्लेख नहीं किया गया है.

जैसा कि इस मामले में हुआ कि दिल की धड़कन वापस लाने में देरी हुई, जिसकी वजह से क्षति हुई है. पीठ ने बोला कि प्रतिवादी (डॉक्टरों) को कार्डियक अरेस्ट की अवधि का उल्लेख करना चाहिए था, खासकर जब स्थिति को न्यूरोलॉजिकल रूप से पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता. यह सब संकेत करता है कि शिकायतकर्ता की पत्नी डॉक्टर्स की ओर से की गई घोर लापरवाही  कुप्रबंधन के कारण इस स्थिति में चली गई. यह भी बोला गया है कि डॉक्टरों ने यह जानते हुए कि कार्डियक अरेस्ट स्पाइनल एनेस्थीसिया की एक ज्ञात जटिलता थी, मरीज उसके दिल की पहले से पूरी प्री-ऑपरेटिव जांच करवाने के लिए ईसीजी करवाना चाहिए था. जैसा कि रिकॉर्ड से देखा जा सकता है कि अंतिम ईसीजी 25 मई, 2004 को किया गया था.

वर्तमान ऑपरेशन एक वैकल्पिक ऑपरेशन है  इसे आपातकालीन स्थिति के आधार पर नहीं किया गया था. मरीज को ऑपरेशन थियेटर में ले जाने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच करने के लिए डॉक्टर्स के पास पूरा समय था. उन्हें मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के बाद  उनके ऑपरेशन के बाद दिल की स्थिति का आकलन करने के लिए एक  ईसीजी कराना चाहिए था. पीठ ने बोला कि निश्चित रूप से ऑपरेशन से पहले मरीज के दिल की स्थिति का आकलन न करना डॉक्टर्स की ओर से एक गंभीर चूक है. यह अच्छी तरह से जानते हुए कि कार्डियक अरेस्ट स्पाइनल एनेस्थीसिया की एक ज्ञात जटिलता है.