ट्रैक्टर रैली में मचा बबाल, बेकाबू हुए किसान , उतरे हथियारों के साथ…

बबाल तो अन्य सीमा प्रवेश द्वारों पर भी मचा है, मगर उन सबसे इंडिया गेट दूर है. हांलांकि, सुरक्षा बल किसान रैली को काबू करके उसे, उनके पूर्व निर्धारित रुट्स पर डायवर्ट करने के लिए हर जगह जूझ रहे हैं.

 

कुछ जगह पर सुरक्षा बलों को आँसू गैस के गोले दागने पड़े हैं. कई जगह हल्का बल प्रयोग करके रैली को खदेड़ना पड़ा है. बार-बार किसानों का दिल्ली में घुसने का प्रयास उनकी, नीीयत में खोट को साफ साफ जाहिर कर रहा है.

हालात सबसे पहले लोनी बार्डर पर बीती रात खराब हुए थे. जब यहां सैकड़ों ट्रैक्टर पुलिस-सुरक्षा बलों को धता बताकर, दिल्ली की सीमा में घुस पड़े. चूंकि किसान ट्रैक्टरों पर सवार थे और सुरक्षा बल सड़कों पर.

ऐसे में अचानक आई उस आफत का सामना भी सुरक्षा बल नहीं कर सके. लिहाजा भगदड़ मची देख और खुद को बेकाबू हुआ देख, मौजूद सुरक्षा बलों ने रात करीब 10 बजे ही अतिरिक्त बल मौके पर बुलाया. तब दिल्ली की सीमा में घुसे किसानों को मय ट्रैक्टरों के बैंरग यूपी में भेजा जा सका.

लिहाजा बेबस हुए किसान नेताओं की अकर्मण्यता के चलते बेकाबू हुए किसानों को, अब काबू करने के लिए दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को सीधे-सीधे आमने-सामने का “मोर्चा” लेना पड़ रहा है.

ऐसा नहीं है कि, दिल्ली के किसी एक एंट्री प्वाइंट हालात बदतर और पुलिस बेहाल हो. कमोबेश गाजीपुर बार्डर, नोएडा बार्डर (अक्षरधाम मंदिर रोड), सराय काले खाँ, सिंघु बार्डर, टीकरी बार्डर पर एक से ही बदतर हालात हो चुके हैं.

हालात काबू करने में, दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सामने सबसे ज्यादा मुश्किल आ रही है नेशनल हाईवे-9 (24) निजामुद्दीन ब्रिज, अक्षरधाम रोड, सराय काले खांं इलाके में. क्योंकि यहां से इंडिया गेट बेहद करीब है.

हालात देखने से लग रहा है कि, इन दिशाओं से किसान किसी रैली को जल्दी से जल्दी इंडिया गेट इलाके में ले जाने को आतुर हैं. क्योंकि उनके लिए यह रास्ता इंडिया के सबसे करीब है.

आलम यह है कि, पुलिस और किसान दिल्ली की सड़कों आमने-सामने जूझ रहे हैं. पुलिस किसान नेताओं को तलाश रही है. किसान नेता हैं कि, अधिकांश के मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ आ रहे हैं. जो पुलिस के हाथ लगे भी हैं, अपनी पर उतरे किसानों में से कोई उनकी बात सुनने-समझने को राजी नहीं है.

देश के खुफिया तंत्र और दिल्ली पुलिस को जिसकी आशंका थी वही बबाल शुरु हो चुका. मतलब किसान ट्रैक्टर रैली से पहले किसान नेताओं के शांतिपूर्ण रैली के बड़े-बडे़ दावे उनके अपने किसानों ने ही दिल्ली की सड़कों पर पहुंचते ही, ट्रैक्टर के पहियों के नीचे कुचल-रौंद डाले. लिहाजा राजधानी में बबाल मचना था सो मचना शुरु हो चुका है.