राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे। किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें।” हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो।”
उन्होंने आगे कहा कि वे ‘बीच का रास्ता’ निकालने के लिए सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार बातचीत से महज ‘‘एक फोन कॉल” दूर है।
किसानों के प्रदर्शन का पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या कोई असर पड़ेगा, इस सवाल पर भाकियू के अध्यक्ष और बड़े भाई नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘वे किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं।
हम उनसे किसी पार्टी विशेष के लिए वोटिंग करने को नहीं कह सकते। अगर किसी पार्टी ने उन्हें आहत किया है तो वे उसे सत्ता में वापस क्यों लाएंगे?”
वहीं पीएम के किसान से बातचीत वाली बात पर टिकैत भाइयों राकेश और नरेश टिकैत ने कहा कि किसान, प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कृषि कानूनों का मुद्दा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए भारी पड़ सकता है।
इससे एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक में उन्होंतने यह भी कहा था कि उनकी सरकार (कृषि मंत्री) किसानों से बस एक ‘फोन कॉल’ दूर है और इस मसले का हल बातचीत के जरिये ही निकाला जा सकता है।
बता दें कि किसान और सरकार के बीच अगली बैठक 2 फरवरी को होने वाली है। हालांकि इस बैठक में कोई हल निकलेगा की नहीं ये कह पाना काफी मुश्किल है।
किसान और सरकार के बीच तनातनी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। किसान और सरकार दोनों ही अपनी मांग से पीछे हटते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
वहीं रविवार को पीएम मोदी ने मन की बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस (Republic day Tractor Rally) पर तिरंगे के अपमान से पूरा देश दु:खी है।