जीएसटी चोरी रोकने की ओर सरकार का बड़ा कदम

कारोबारियों की मंथली सेल रिटर्न के साथ उनके द्वारा भेजे गये सामान के ई-वे बिल के आंकड़ों का मिलान भी किया जा सकेगा। अब 50 हजार रुपये से अधिक का सामान भेजने वाले व्यापारियों को GSTR-A के तहत आखिरी मंथली सेल रिटर्न दायर करते वक्त ई-वे बिल की जानकारी शामिल करने का ऑप्शन भी होगा। यह कदम गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (GSTN) ने टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए उठाया है।

 

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क ने कहा कि दो बार आंकड़े डालने से बचने के लिये GSTN ने टैक्स भरने वालों को ऐसी सुविधा दी है, जिसके तहत मंथली ई-वे बिल के आंकड़े ड्राफ्ट में दिखेंगे और GSTR-A का फॉर्म भरते समय करदाताओं को इसकी जरूरत पड़ेगी। करदाता GSTR-A फॉर्म में आंकड़े इंपोर्ट कर सकेंगे या GSTR-A रिटर्न फॉर्म तैयार करने के लिये इसे इंपोर्ट कर GSTR-1 ऑफलाइन टूल के साथ इस्तेमाल कर सकेंगे।

टैक्स एक्सपर्ट की माने तो ई-वे बिल की रसीदों का GSTR-A के बिक्री आंकड़ों से मिलान करने पर टैक्स अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलेगी कि बिक्री रिटर्न और उस पर किया गया जीएसटी भुगतान सही है या नहीं। इससे सप्लाई के बारे में गलत आंकड़े पेश कर टैक्स चोरी करने वालों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

ई-वे बिल

गौरतलब है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार रुपये से अधिक का सामान ले जाने के लिये एक अप्रैल 2018 से ई-वे बिल की शुरुआत की गयी थी। इसी तरह एक ही राज्य के अंदर सामान ले जाने के लिये ई-वे बिल की शुरुआत 15 अप्रैल 2018 से फेस बाइ फेस तरीके से की गयी थी।

इसके बाद जांच अधिकारियों ने पाया कि कुछ ट्रांसपोर्टर एक ही ई-वे बिल पर कई बार सामान ले जा रहे हैं या GSTR-1 भरते समय ई-वे बिल की रसीदों का जिक्र नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी जानकारी में आया कि आपूर्ति के बाद भी ई-वे बिल उत्पन्न नहीं किया गया है।

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क ने कहा कि ई-वे बिल निकालते समय सप्लायर की जानकारी, सामान लेने वाले की जानकारी, नंबर, तारीख, सामान, गुणवत्ता, एचएसएन कोड जैसी जानकारियां ई-वे बिल पोर्टल पर दी जाती हैं। अब इन आंकड़ों को जीएसटी पोर्टल पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा।