जानिए यहाँ पर भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद ने बनवाया था ये मंदिर

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक भगवान नृसिंह आधे सिंह  आधे मानव के रुप में अवतरित हुए थे. अपने भक्त प्रहलाद को पिता हिरण्यकशिपु के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था. आंध्रपदेश के विशाखापट्टनम से महज 16 किमी दूर सिंहाचल पर्वत पर स्थित ये मंदिर बहुत खास है. मान्यता है कि यह मंदिर सबसे पहले भगवान नृसिंह के परमभक्त प्रहलाद ने ही बनवाया था. यहां उपस्थित मूर्ति हजारों वर्ष पुरानी मानी जाती है.

इस मंदिर की अच्छाई ये है कि यहां भगवान नृसिंह लक्ष्मी के साथ हैं, लेकिन उनकी मूर्ति पर सारे समय चंदन का लेप होता है. केवल अक्षय तृतीया को ही एक दिन के लिए ये लेप मूर्ति से हटाया जाता है, उसी दिन लोग वास्तविक मूर्ति के दर्शन कर पाते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर को हिरण्यकशिपु के भगवान नृसिंह के हाथों मारे जाने के बाद प्रहलाद ने बनवाया था.लेकिन वो मंदिर सदियों बाद भूमि में समा गया.

सिंहाचलम देवस्थान की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इस मंदिर को प्रहलाद के बाद पुरुरवा नाम के राजा ने फिर से स्थापित किया था. पुरुरवा ने भूमि में समाए मंदिर से भगवान नृसिंह की मूर्ति निकालकर उसे फिर से यहां स्थापित किया  उसे चंदन के लेप से ढ़ंक दिया. तभी से यहां इसी तरह पूजा की परंपरा है, वर्ष में केवल वैशाख मास के तीसरे दिन अक्षय तृतीया पर ये लेप प्रतिमा से हटाया जाता है. इस दिन यहां सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाता है. 13वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार यहां के राजाओं ने करवाया था.

  1. पौराणिक मान्यता है कि हिरण्यकशिपु के वध के वक्त भगवान नृसिंह बहुत क्रोध में थे. हिरण्यकशिपु के वध के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था. भगवान शिव ने भी बहुत संघर्ष किए लेकिन उनका क्रोध शांत नहीं हुआ. पूरा शरीर गुस्से से जलने लगा. तब उन्हें ठंडक पहुंचाने के लिए चंदन का लेप किया गया. जिससे उनके गुस्से में कमी आई.तभी से भगवान नृसिंह की प्रतिमा को चंदन के लेप में ही रखा जाने लगा. केवल एक दिन के लिए अक्षय तृतीया पर ये लेप हटाया जाता है.
  2. ये मंदिर विशाखापट्टनम शहर से करीब 16 किमी दूर स्थित है. विशाखापट्टनम तक रेल, बस  हवाई मार्ग की सुविधा है. विशाखापट्टनम से मंदिर तक बस से या व्यक्तिगतवाहन जाया जा सकता है.
  3. सुबह चार बजे से मंदिर में मंगल आरती के साथ दर्शन प्रारम्भ होते हैं. प्रातः काल 11.30 से 12  दोपहर 2.30 से 3 बजे तक