जानिए भगवत गीता की ये 5 बातें , बना देंगी आपके जीवन को सफल

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाकर महान संदेश दिया था की दुनिया व्यर्थ ही धर्म और ईश्वर के नाम पर लड़ रही है, वास्तव में सबका इश्वर तो एक ही है, सिर्फ लोग उनके अलग-अलग स्वरूपो की पूजा करती है.

 

मनुष्य के लिए दुसरे के धर्म से ज्यादा अपना धर्म उचित रहता है, व्यक्ति को जीवनभर अपने ही धर्म का आदर ओर उसके नियमो का पालन करना चाहिए.

व्यक्ति को सत्य और न्याय के लिए स्वयं से और दुनिया से युद्ध करना ही चाहिए. जो व्यक्ति सत्य का साथ नहीं देता, अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ता है, उसकी कीर्ति का नाश निश्चित है.

श्रीकृष्ण के अनुसार ज्ञान और कर्म सर्वमहान है, किन्तु ज्ञान युक्त कर्म उससे भी अधिक महान है. मनुष्य जीवन मे कभी भी अपने कर्मो से बचकर कही भाग नहीं सकता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में उपदेश दिया है की मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय शरीर का मोह नहीं करना चाहिए, इसका तात्पर्य है की उन्हे जीवन मे मृत्यु का भय नहीं होना चाहिए. यह शरीर नश्वर है जिसे एक दिन खत्म होना निश्चित है.

मनुष्य को सदेव गीता मे दिये गए उपदेशो के अनुसार अपना जीवन जीना चाहिए, ताकि वह इस संसार से मुक्त हो सके, जिसमे न तो कोई मोह-माया हो ओर न ही किसी त्राह का मन मे लालच हो, यदि भागवत गीता मे बताये गए उपदेशो को हम अपने जीवन मे अमल करे तो जीवन खुशहाल हो सकता है.

आज से करीब पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने मानवजाति की भलाई के लिए कुरुक्षेत्र के मैदान में वीर अर्जुन को भगवत गीता का पाठ पढाया था. कल जितनी यह बात प्रासंगिक थी, आज भी उतनी ही प्रासंगिक रहेगी.