इस वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान जम्मू और कश्मीर में सुरक्षाबलों ने 101 आतंकवादियों को मार गिराया था. जिसका मतलब है कि औसतन हर महीने 20 आतंकवादी मारे गए हैं. हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों का बोलना है कि इस सफलता के बावजूद घर के अंदर पनप रहे आतंकवाद को नियंत्रण में नहीं लाया जा सका है. एक वरिष्ठ आधिकारी ने कहा, ‘लगभग 50 युवा विभिन्न आतंकवादी संगठन में शामिल हुए हैं व यह चिंता का विषय है.‘
ऑफिसर के अनुसार अगले पांच वर्षों में कट्टरपंथी विचारों को समाप्त करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हमें इस मामले को सुरक्षा पहलू से नहीं बल्कि एक सामाजिक मामले को तौर पर देखना चाहिए. नए विचारों के बारे में सोचा जाना चाहिए जिससे कि युवा कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित न हों.‘ सोमवार को आंतरिक सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने के लिए बुलाई मीटिंग में शाह को रमजान के दौरान जम्मू और कश्मीर की हालात के बारे में बताया गया.
पिछले वर्ष इस दौरान सरकार ने आतंकी निरोधी गतिविधियों पर रोक लगाई थी. लेकिन युद्धविराम के दौरान आतंकवादियों ने 18 ग्रेनेड हमले किए थे जिसमें 31 लोग घायल हो गए थे. कुल मिलाकर 37 हमले किए गए थे जिसमें 12 लोगों की मृत्यु हो गई व 41 घायल हो गए थे. वहीं इस वर्ष केवल तीन ग्रेनेड हमले हुए हैं. कुलमिलाकर सात आतंकवादी हमले हुए हैं जिसमें तीन लोगों की मृत्यु व एक घायल हुआ है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने कहा, ‘अगले दो महीनों में पार्टी की भावना को आकार मिल जाएगा व अमित शाह इससे परिचित हैं. मीटिंग में उन्होंने इसके बारे में स्पष्ट कर दिया था.‘ एक घंटे तक चली मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन व गृह सचिव राजीव गौबा शामिल थे.